मन्नू भण्डारी का कथा साहित्य मनोवैज्ञानिक विश्लेषण | Mannu Bhandari Ka Katha Sahitya Manovaigyanik Vishleashan
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
149 MB
कुल पष्ठ :
311
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विघ्माय ~ प्रद
1
পা বরন 705. ছটা সস (০৬38 তা प भिक म এ সা কন জা 5 আট
मन्तु तदास ~ व्यज्नित्व पुर्वं परिचित-पमाज :
कि गप पते कथमक फी यि सता (केः तककः ष्ये भ सतो मिः गरदः पय ध्यापकी लात प्ति शिकत ভাটি এরিয়া सोति शाः तनुते पदे शकि तति ওযা किते दैत ता रथे गि स
जीवन त ०, धय त নী টিটি जिला का न रित न्व् 4 त्तिः आ [र টি
जीवन की ঢরহিতি ল দবিজায জা টিলা লাতিক आधार हू |
ग़री परिवार की अभिन्न अँग ভী नरह, उछी श्र 51 पारिद
नारी के लिये छोई कार्य अपतम्भव नहीं । उक चेतना प्रभाव, तारी का
अदे. अस्तित्व शमौ जन्प देता উই | प्राचीन मास्तीय चिन्तन की दो
टि ऽ = जा नर् {न খন प्राधा था ॐ पा লাশ धि प्र भा पा
हट प পু চুর 1 পর পু তালে সপ कह শসা ४25 8 ५५
स ~ इ, ताशे की सढ़ानता की किसी न किसी জান मे क्लीकार हो
४ কাত ८9
भौ
০১০০১ ५५ त, ण भ्न (८; क्फ এসসি ০ মে जुलाई मिभ स ५ प
শি জিও ति बहिकि अगीकार भी करती ভ | লাকা জা হল লত ৪ ह्न आष
६ <
के
০ এ ভিত # বা हा ; प्रा क ल পপ तन पधि प्न [नन्त
{ण কা জক্ভলিল্ত হা ভা ঘত় লা जीवन नारी मन की अन
५
9 ৪৮4৪ (न
सेञ्टाभा के निर्माण জা জল दती ई | व्ण तं अपना सन ह ¡¦ ह्ला
न्धः ५५.
ह कि नारी पृष्टिट है, जन्म से मरण तक की रात्राय कवा भछे ही न दे,
पर अपने मन छे यात्रा' की प्रूर्णा आहूति तो अवश्य करती हु | यह सज्चाई
लवन फी, मन्तु जी के क्या-प्ता'हित्य को पढ़ने पे छपी | वही जब उनके
जब उनके देहली प्रवास के समय उनसे उनके घबरा मिलने पर बातवीत के दोराम
पायी, उसे ठगने सगा कि उन्ती नो दला हृ, उसी क तो एक आधार
নালা ह | साधारण साॉँविले रंग, अंदाज का भारतीय नारी का =
नाव आर मार्थ पर चमकती बड़ी -जिन्दी ष प्ता खगत हु कि यथार्थ का'
पा उता, उनकी अपनी व्यवस्था' ता ह हौ, पर उनका अपना चिन्तन स्वर
माघा के रूप मे परिभाशित करता ই 1 2 किसी जातवीत का बा नहीं
घमझाती, नचि रसं कर पाने में अपना कर्म घछमझाती ই | জাজ दंखती हु,
क च
भः `
क्र तिघोषा ( साप्ताहिक), (मन्तु जी से ठ টি | बात.) 7৬ দল
User Reviews
No Reviews | Add Yours...