शीघ्रबोध [भाग 21] | Shighrabodh [Part 21]
श्रेणी : अन्य / Others
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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(४) मनुष्य मरके शाकरप्रभादि छे नरक, तीसरासे बाहरवा
देवलोकतक दश देवलोक, एक नोभीवेग, एक च्यारातत्तर पेमान-
एक सर्वाथसिद्ध वेमान एवं १९ स्थानमें जावे यहासे स्थिति जघन्य
प्रत्यक वपं फिं उ< कोड पूवं फि,वहांपर जघन्योत्छृष्ट भपने अपने
स्थान माफीक समझना । भवापेक्षा पच नरक (२-९-४9 -५-६
ठी ) ओर छे देवलोक (९-४-९-६-७-८ वामे ज० २ भव
उ० जाठ भव करे। सातवी नरक॒का जपन्योत्क्ट दोय भव कारण
सातवी नरक॑से निकलके मनुष्य नहीं होवे। च्यार देवलोक
(९-१०-११-१२ वा) ओर नो्रविगरमे ज० तीन भव 38०
सातभव, वच्यारानुत्तरवेमानमें ज० तीन मव उ० पांच भव
स्वोथसिद वैमानमे जनि, अपेक्षा तोन भव आनि णपेक्षा दो
भव करे । `
(१) दश भुवनपति, व्यन्तर, ज्योत्तीषि, सोधम इशान देव-
लोकके देवत। मरके, एथ्वी पणी वनस्पते जावे, यहांसे स्थिति
সঙ उ० अपने २ स्थानसे समझना | वहा पर भी अपने अपने
म्थान माफीक भवापेक्षा ज० दोय भव उत्कृष्टेसि दोय भव करे |
कारण पएथ्व्यादिसे निकलके देवता नहीं होते हैं ।
(६) मनुप्य युगल और तीयंच युयरू मरके, दशभुवनपति,
व्यन्तर, ज्योतीपो, सोधभ, इशान, एवं १४ स्थानमें उत्पन्न होते
है, यहासे स्थिति जघन्य साधिक कोड पूर्षे 3० तीन पल्योपम,
चहापर ज० दशहजार वर्ष 3० अघुर कुमारमें तीन पल्योपम,
नागादि नव कुमारमें देशोनी दोयपलोपम, व्यन्तरमें एक पर्योपम
ल्योतीपीमे जावे तो यहासे भ० पत्योपमफे জামা মাম ভ০
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