गाँधी ग्रन्थ | Gandhi Granth

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Gandhi Granth by प्रेमनारायण माथुर - Premnarayan Mathur

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about प्रेमनारायण माथुर - Premnarayan Mathur

Add Infomation AboutPremnarayan Mathur

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
# भरात्मा सोधी ग्रौर उनका इतिहास से स्थान वाला है | इन्ही प्रश्नो के उत्तर देने क प्रयत्नो के फलस्वरूप भिन्न भिन्न दार्शनिकों के भिन्न-मिनन दर्शन शास्त्रों का जन्म अब तक हुआ है| यदि हम इस प्रश्न पर गहराई से विचार करें तो जीवन आर उसके लक्ष्य के सम्बन्ध में हम दो स्पष्ट दृष्टिकोण देखने को मिलते हैं। एक दृष्टिकोश के अनुसार मनुग्य-जीवन का इतिहास मनुष्य द्वारा किए गए उन प्रयत्नो का लेखा मात्र है जो वह अपने जीवन की आवश्यकताओं की पृ्ति करने के लिए करता श्राया है। सभ्यता केश्रारभ म मनुष्य का जीवन श्रत्यन्त सादा ओर खरल থা तथा उसकी आवश्यकताएँ अत्यन्त सीमित थी। जैसे जैसे सम्यता का विकास हुआ मनुष्य की आवश्यकताओं में अमिवृद्धि हुई और उसका प्रयत्न बराचर इन बढती हुई आवश्यकताओं को पूरा करने का रह्य | यही उसने अपने जीवन का सबसे बडा लक्ष्य समझा। सामान्यत्तया एक सासारिक मनुष्य अपने जीवन के सामने यही लक्ष्य रख कर चलता है। आधुनिक पजीवादी उद्योगवाद के जन्म ओर उसके उत्तरोत्तर विकास और प्रसार के साथ-साथ जीवन सम्बन्धी दस दृष्टिकोश को मी अधिकाधिक प्रोत्साइन मिला। टसका ऐतिहासिक कारण था। पूजीवरादी उनोगवाद का जन्म मनुष्य की वेजानिक खोजो से हुआ | उप्पत्ति के नए नए साधनोका श्राविष्कार हुआ। पूँजीवादी उद्योगवाद इन उपायो का দুহা-দুযা লাল उटा मर, इस्फे लिए मनुप्य मात्र में जीवन के प्रति यह दृष्टि उत्पन्न होना आवश्यक था कि जीवन का लक्ष्य आवश्यकताओं की वेरोक वृद्धि करना मात्र हे। आधुनिक अर्थशासत्र और उसके पडितो ने इस दृष्टिकोण का खूब प्रचार किया और आज भी वह प्रचार जारी है। यदि उत्पत्ति साधन ( फोर्सेज आँव प्रोडक्शन ) विकास की इस अ्रवस्था में न होते, यदि वे मालिक ओर मजदूर के उत्पत्ति- . গনী ( रिलेशन्स ऑव प्रोडक्शन ) को जन्म न डेते आर इनके पर्णिम स्वरूप मनुप्य,की उत्पादन शक्ति का इतना विकास न होता तो कभी भी जभ्वन कर इसं दृष्टिकोण को दतना मदत्व न मिलता। जीवन सम्बन्धी ६ गों० ग्र०---२




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now