प्रमाण वार्त्तिकम | Praman Vartikam Ac 763
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
642
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नमस्कारइलोक:
शास्त्रारम्भप्रयोजनम्
१. हेतु-चिन्ता
(१) पक्षधरमंता
(२) हेतु-लक्षणम्
(३) हेतु-स्त्रिधा
(४) हेत्वाभासा:
२. ग्रनुपल्ब्धि-चिन्ता
( १) दृश्यान॒पलब्धिफलम्
(5) अनुपलब्बिश्वतुविधा
(क) शेबबदनमाननिरास:
(खे) त्रिरूपत्रेतुनिश्वय:
३, व्याप्रि-चिन्ता
(१) दिग्नागेष्ट: प्रतिबंध:
(२) आचार्यीयमतनिरास:
(३) वेशेषिकमतनिरास'
(४) भ्रविनाभाव-नियमः
४. सामान्य चिन्ता
(१) न्यायमीमांसामतनिरासः
विषय-सूची
पृष्ठ
<
१
० 55
५९६
५५
५५9
९५
५२
८५५
१०.४
१२३६
(क) व्यावृत्तस्वभावा भावाः ,,
(ख) भिन्नानामभिम्न कार्यम् १७७
(ग) अ्रपोहस्य विजातीय
व्यावर्तकत्वं
१८६
पृष्ठं
(ध) सामान्याभावे प्रत्य-
( भिज्ञासगतिः २०५
(ड) तद्रत्ता-निषर्चयः २१३
(२) सांख्यमत-निरास: ३२०
(३) जेनमन-निरायः ३३६
५, शब्द-चिन्ता ३४१
(१) आप्तशब्द-चिन्ता ३४२
(२) निहेंत॒क-विनाज्ः ३४५८
(३) प्रनुपलब्धि-चिन्ता ३७०
क. अनुपलब्धेः प्रामाण्यम् ,,
ख. स्वाभावानुपलन्धिः ३७८
ग. अ्रनपलन्धिरेवाभावः ३७६
घ. कल्पितस्यान्पलब्धिः ३८८
६ श्रागम-चिन्ता ३८९
(१) पौरुषेयत्वे ३६६
क ॒पुरुषानिरायप्रणति वचनं
प्रमाणम् ॥
ख. सत्कायदर्शन॑ दोषकार-
णम् ४०१
७. अपोसुषेय-चिल्ता ४०३
(१) सामान्येने ४०३
क. स्रपौरषेयत्वाऽप्रामाण्यम् ५८१०
ख. सम्ब्न्ध-चिन्ता ४१८
চর
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