श्री गुरु ग्रन्थ साहब | Sri Guru Granth Sahab
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
976
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ভিজ
गउड़ी पुरबोी महला ५
मेरे मन सरणि प्रभू सुख
मेरे मन गुरु गुरु गुरु सद
रागु गउड़ी महला ५
तृसना बिरले हीं की बुझी हे
सबहू को বন हरि हो
गुन कीरति निधि मोरी
मातो हरि रग मातो
रागु गठउड़ी मालवा महला ५
हरिनामु लेहु मीता लेहु
रागु गउड़ी माला महला ५
पाइओ बाल बुधि सुख रे
भावनु तिआगिओ री तिआगिओ
पाइआ लालु रतनु मनि पाइआ
उबरत राजा राम की सरणी
मोकड इह बिधि को समन्नावै
हरि विन अवर क्रिजा विरथे
माधउ हरि हरि हरि मुख कहीऐ
रागरु गउड़ी साक महला ५
दीन दआइल दमोदर राइआ जीउ
आउ हमारे राम पिआरे जीउ
सुणि सुणि साजन मनमिन
तू मेरा बह माणु करते
दुख भजनु तेरा नामु जी
हरि राम राम राम रामा
মাঠ हरि गुण गाउ जिदू तू
रागु गउड़ी भमहला €
साधो मन का मानु तिआगऊउ
साधो रचना राम बनाई
प्रानी कउ हरि जसु मनि
साधो इहु मनु गहिओ न
साधो गोविद के गुन गावउ
कोऊ माई भूलिओ मन
(क-१४)
पुष्ठ सख्या
६४८
६४९
६२०
६५१
६५२
६५२
६५३
६५८४
९६१५५
६५६
६५७
६५८
६५६
६६०
६६१
६६२
६६३
६६५
६६६
६६७
६६८
६६६
६६६
६७०
६७१
६७१
६७२
জি पुष्ठ संख
साधो राम सरनि बिसरा ६७२
मन रे कहा भइओ त॑ ६७३
नर अचेत पाप ते डरु रे ६७४
रागु गउड़ी गुआरेरी महला १ असटपवोीआ
निधि सिधि निरमल नामु जीचारू ६७५
मनु कुचर काइआ उदिआने ६७७
ना मनु मरन कारजु होड ६७८
हउमे करतिआ नह सुख होइ ६८०
दृजी माइआ जगत चित वासु ६८१
अधिआतम करम करे ता साचा জব
खिमा गही ब्रतु सील सतोख ६८३
ठेसो दासु मिलं सुख होई ६०८४
ब्रहम गरबु कीआ नहीं जानिआ ६८६
चोआ चदनु अक चडावउ ६५६
सेवा एक न जानसि अवरे ६६०
हट करि मर न लेखे पाव ६६२
हमै करत भेखी नही जानि ६६३
प्रथमे ब्रह्मा काल घरि आदा ६६४
बोलहि साचु मिथिआ नही राई ६६६
रामि नामि चितु राप जा का ६९८
गउड़ी बेरागणि महला १ असटपदीआ
जिउ गाई कउ गोइली राखहि ६६६
गुर परसादी बूझि ले तउ होइ
७३१
रागु गउड़ी गुआरेरी महला ३ असटपदआ
मन का सूतकु दूजा भाउ
गुरमुखि सेवा प्रान ज्रघधारा
इसु जुग का घरमु पडहु तुम
ब्रहमा मूल् वेद अभिजासा
ब्रह्मा वेदुं पडं वादु वखाणे
न्रे गुण वखाणं भरमु न जाद्
नामु अमोलक्ू गुरमुखि पाव
मन ही मन सवारिओआ भ सहजि
७०३
७०७
७५५.
७०७
७०५९
७१०५
७१२
७१३
राग गउड़ो बेरागणि सहला ३ असटपवौना
सतियुर ते जो मुहु फेरे
७१५
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