समाचार सम्पादन और पृष्ठ सज्जा | Samachar Sampadan Aur Prishth Sajja
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
290
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समाचार 5
श्रेणी में পানা है ] समाचार और प्रचार में यही प्रन्तर है {जव किसी निर्य की
घोषणा की जाये तब तो वह समाचार हैं लेविन भाषण दे-देकर जनता को अपने
पक्ष में बनाने का अयत्न होता हो तो वह प्रचार ह 1
समाचार के तच ৫
जो घटनाया वस्तु एकाएक हमारा ध्यान झ्राकषित बसर लेती है उसमें
समाचार का बुनियादी तत्व मौजूद होता हैं, ऐसी मान्यता हैँ इसके अतिरिक्त
निम्न तत्वों का किसी भी समाचार को महत्त्व देने में विशेष योगदान रहता
ই
(1) ताक्कालिकता -जो समाचार दिया जारहाद भ्रौर जिस घटना के
बारे में दिया जा रहा है, इनके मध्य मे कम से कम समय हो । झर्थात् उस घटना
को घटे प्रधिक समय व्यतीत न हुआ हो ।
(2) निकटता--जिसत स्थान से समाचार दे रहे हों भ्रौर जिस स्थान पर
हूं समाचार प्रकाशित होगा--इनके मध्य प्रधिक दूरी तो नही हैं ।
(3) झ्राकार--किसी भी धटना विशेष के प्राफार-दोटी और बड़ी घंटना
का भी समाचार मूल्य होता है ।
(4) महत्व --किसी भी घटना का परिणाम यदि इस प्रकार का हो जो राज-
नीतिक, सामाजिकः, प्राथिक, व्यापारिक व साहित्यिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में बहुत बड़ा
परिवर्तन ला सके--उसका महत्त्व भ्रधिक होता है ।
(5) विचित्रता--कोई भी वात जो झ्ाश्चर्य या हैरत में डालते वाली हो--
का भी समाचार गूल्य होता है ।
समाचार की श्राधुनिक श्ौर पुरानी जितनी भी परिभाषाएं है, इत सबका
सार यही है कि समाचार को समाचारत्व प्रदान करने वाले निम्नलिखित पांच
तत्त्व हैं--
1. जानकारी
2. नदीनता
3. बहुसंड्यकों को अधिकतम रुचि
4. उत्तेजक सूचना
5. परिवतेन की सूचना
केवल शुष्क तथ्य कभी समाचार नहीं कहलाते | परन्तु जो तथ्य मानव के
जीवन, भावना और विचारों पर प्रभाव डालते ह, उसे रुचिकर होते ई, श्रानन्द देते
है और प्रानन्दो लित करते है, वे ही समाचार बनते हैं। भावोद्रक करने वाले यां
अपने हित और भहित से,सस्वद्ध समाधारों में मनुष्य की विशेष रुचि होती है ।
1. हिनुम्तान ५. ६ =,
পণ সত
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