मौकियावेली शासक | Maukiyaveli Shasak

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Maukiyaveli Shasak by नीलिमा सिंह - Nilima Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इमारतो को देख सकता था। वह सोचता रहता था कि इन मीनारो के सायथे मे और भहराबो के पीछे क्या हो रहा है ? यही आदास के दौरान उसकी साहित्यिक गतिविधियों का समुद्धतम दौर गुजरा । समय-समय पर वह प्लारेस आता रहा। अवकाश ग्रहण व रने क॑ कुछ वर्ष बाद उसने ओरिसेलारी उद्यान में होने वाली साहित्यिक गोष्ठियो मे भाग लेना शुरू क्या । यहा वह अपनी रचनाए और लेख भी पढा करता था और उसे अपनी कला के पण्डित का-सा सम्मान प्राप्त होता था। इसी दोर मे मेदीची घराने से उसका परिचय कराया गया | सरकारी पद पाने की उसकी आश्ाए एक बार फिर जाग उठी | व्यापारिक महत्त्व के कुछेक काम करने के बाद वह थीडे समय के लिए फिर सावजनिक जीवन मे लोटा 1 बहुं रोम आया । यहा उसे पोप क्लीमेंत की ओर से “লাইন का इतिहास के लेखन के लिएु आयक सहायता दी गई । यहा उसने रोमाना मे एक नागरिक सेना खड़ी करने के लिए पोष को तैयार परना चाहा। उसकी यह चेप्टा भी विफल रही। पोष ने इस दिशा मे कोई व्यावहारिक कदम नही उठाया | बहुत कोशिश बे बाद अततत उसे पलारेस के परकोटे की क्लिबदी की एक परियाजना को पूरा करने का दायित्व सौंपा गया। दुर्भाग्य से मकियावेली का सावजनिक जीवन मे पुनरागमा भी उसके लिए सुखकर सिद्ध नहीं हुआ। जब लोकत-त्र का पलारेस मे पुनरोदय हुआ, तो उसे मदीची परिवार का पिटदू समझा गया। नये शासकों वी नजर मे वह्‌ सगदग्ध व्यित बन गया 1 अंतएवं उसवी खुलकर उपेक्षा की गई। इसके बुछ हो समय वाद वह बीमार पड गया। उसके उदर मे किसी भयकर रोग ने डेरा डाल दिया था। ईस्वी सन १५२७ में उसका दहावसान हो गया 1 उसके प्रवे कषना- नुसतार उसकी मत्यु बे समय उसका परिवार बहुत दरिद्रावस्था म था। मैक्यावेली के पारिवारिक जीवन के विषय में , हमे:बहुत व म जान कारी मिलती है। ईस्वी सन्‌ १५० ৮ ¢ से विवाह किया था। मारिएत्ता से उसके छ 1 कमा सर्मापित थो, लेकिन वयोकि मैंकियावेलो वुए/ मन,प्राप राजनीति मे से ह হান ১(1 ১৪




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