कठघरे में | Kathghare Mein

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Kathghare Mein by रामशरण जोशी - Ramsharan Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ই रहते है। समय व आवश्यकता को ध्यान मे”रखकर इनके साक्षात्कार ऋंपते रहते है ¦ आठवे दशक के प्रारम्भ मे मैंने धर्मयुग के लिए देश के प्रमुख अखिल भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों के साक्षात्कार लिए थे। वे साक्षात्कार पूरी तरह से गैर-राजनीतिक थे। साक्षात्कारों का सबध देश मे बदलते प्रशासन के स्वरूप, प्रशासको की समस्याओ ओर राजनीतिक शासको के साथ उनके रिक्तो को लेकर था। मुझे याद है, लगभग सभी वरिष्ठ अधिकारियो से उत्साहपूर्ण रेसपॉन्स मिला था। करीब एक दर्जन अधिकारियो मे एक-दो ही अधिकारी ऐसे थे जिन्होने अपने नाम को प्रकाशित करने की अनुमति नही दी थी। लेकिन उन्होने अनौपचारिक वार्ता मे वर्तमान व्यवस्था के सबध मे अपने विचार खुलकर व्यक्त किये थे। मेरा यह मत है कि व्यावसायिक साक्षात्कारों के लिए पत्रकार को सबधित क्षेत्र का ज्ञान होना चाहिए। किसी भी वैज्ञानिक या उद्योगपति से तब तक अच्छा साक्षात्कार सभव नहीं है जब तक कि साक्षात्कार लेनेवाला व्यक्ति उनके क्षेत्र से अच्छी तरह से परिचित नहीं है। साहित्यिक साक्षात्कार आधुनिक पत्रकारिता मे गैर-राजनीतिक एव व्यावसायिक साक्षात्कारों का महत्व बढता जा रहा है। इस दृष्टि से साहित्यिक साक्षात्कारो का विशेष स्थान है। बल्कि, पूर्व-1947 की हिन्दी पत्रकारिता,मे साहित्यकारो के साक्षात्कार काफी चर्चित रहे है। आजादी के बाद भी साहित्यिक साक्षात्कारो का महत्व कम नहीं हुआ है। विशेषरूप से पत्रकार-लेखक मनोहर एयाम जोशी के साहित्यिक साक्षात्कार तो काफी चर्चित रह चुके है । धर्मयुग साप्ताहिकं हिन्दुस्तान, दिनमान, आलोचना, ज्ञानोदय सारिका, पहल, हस कहानी, प्रतीक, साक्षात्कार, पूर्वग्रह जैसी पत्रिकाओं ने साहित्यिक साक्षात्कारो को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया है । यह सच है कि साहित्यिक साक्षात्कार मूलत साहित्यिक पत्रिकाओ तकं ही सीमित रहे है । चकि एसे साक्षात्कारो के पाठक मूलत साहित्य-गप्रेमी होते है इसलिए सामान्य वर्गं इनके प्रति आकर्षित नहीं हो पाता है, एक तरह से वह साहित्यिक साक्षात्कारो से कटा रहता है । शायद दैनिक अखनारो मे एेसे साक्षात्कारो को कम स्थान दिये जाने की यह प्रमुख वजह होगी । पर एक सत्य यह भी है कि जब भी लोकप्रिय दैनिको मे किसी सुप्रसिख साहित्यकार का कोड साक्षात्कार प्रकाशित होता है तो उसे पाठक बड़ी रुचि से पढते भी है । अब तो दिल्ली, प्रदेश राजघधानियो ओर सभागीय मुख्यालयो से प्रकाशित होनेवाले दैनिको में साहित्यिक परिशिष्ट भी रहता है । कई समाचारपत्रो ने दैनिक पत्रिका 14 ^ भूमिका




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