वैदिक धर्म वर्ष ३२ अंक १ | Vaidik Dharma (varshh-32 Ank-1)

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Vaidik Dharma (varshh-32 Ank-1) by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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রর अथे-धर्म -मीमांसा क्षष्यापकोंको इस प्रकारके लबसरोंकीं अपेक्षा नहीं करनी चाहिये, प्रत्युत उन्हें तकके साथ, ढंगसे धमका तक॑-विरुद्ध स्वरूप दिखाना चाहिये। मिखिन इवानोविचके ऊेनिन कद्दा करते ये कि धमं मन्धकार है, इसके साथ प्रकाश्च रेकर युद्ध 45. ^ करना चाहिये | विद्याकी प्रेरणा और ब्यवस्था करनेवाले माक्से, दुगल्स, लेनिन भोर स्टाहिनने धमके सामाजिक मूलोका प्रकाशन किया है। माक्सेने डचित द्वी कद्ठा था कि धमेके प्राविकूल युद्ध, परम्परा सेवन्‍्धले रुस समाजके प्रतिकूल है जो धमकी रक्षा करता है। छेनिनने धर्मके विषयमें निम्नाक्रेखित शब्द कहे थे-- ' धर्म एक प्रकारका अआध्यात्मिक दबाव है। जो लोग दूसरे साधके चयि काम कानेके कारण दात हो रहे है, लावश्यङू वस्तुनोका भभाव जिन्दें ब्याकुक कर रहा है, उनपर यद्द दबाव छाया रहता है। शत्पीडकोंके विरुद्ध संग्राममें पीडितॉकी क्षसद्ाय देशा, इनमे यह विश्वास उत्पन्न करती है कि मरनेके भनन्तर सुखी जीवन अवद्य पिछेगा | यह धारण जंगली छोगोंकी उस धारणाके समान है जिसके अनुसार वे प्रकृतिके विरुद्ध संग्राममें पराजित होकर देवता भूत और चमत्कार भादिमें विश्वास करने छगते हैं| जीवनभर श्रमसे पके भोर सुख साधनेंसे रद्दित मनुष्यको धर्म शांति भौर संतोषके साथ इस लोकमें रहनेका उपदेश देता है) पर जो दूसरोंके शभ्रभपर जीते हैं उन्हें इस जन्मसें मलाई करनेके छिये कहता है । उनके सारे उत्पीडनको न्‍्यायोचित ठदराकर परक्षोकर्में स्वर्गीय सुख पानेके छिये सस्ते दामपर प्रमाणपत्र दे देता है । घने छोगोंके लिये क्षफीम है। घम एक प्रकारका भ्रध्यात्मिक मद्य है। जिपमें पूंजीका दास अपनी मानवीय सत्ता भौर मानवीय जीवनकोी सलावइयकताको दुबा देता है। ” ऋ्रान्तिसे पहले रूसमें भर्मका विशेष स्थान था, विचार स्वतन्त्रताकी कोई बात व थी। राज्यद्वारा स्वीकृत घर्मपर विश्वास॒निरकुंश राजतंत्रका सद्दायक धा। इसको हस प्रकारके विशेष भधिकार प्राप्त थे जो भन्‍य धर्मोके पास नहीं थे। पूंजोपतियोंके संसारमें धर्म भी विद्यालयोंका' प्रदयीय विषय है । प्रकृतिका विज्ञान विक्ृत रूपसें पढ़ाया ज्ञाता है] सघराऽय भभेरीकाके विध्यार्यमिं डारविनके . विकासवादका पढ़ानां रोक दिया गया है। अक्टूबरकी बड़ी समाजवादी क्रान्तिने राज्यके घर्मका क्षन्त कर दिया है। विचार स्वतंत्रताकी पूरी प्रतिष्ठा हो गई है। समाज- दादी दुछ धर्म विरोधी प्रचारमें छिये दृढ़ दै। ४8 (६२) दूसरे छेखमें कहा गया है-- सभी घम भौतिक संसारको क्षाणक मोर ब्राध्यात्मिक संघारकों सत्य ओर नित्य कहते हैं। यह मनुष्यकी सहज चेतना और विज्ञान परिणामो विरुद्ध है। धममं समाजमें विरोधिका काम करता है | भूमिपर जीवनकी उसच्चति और उस्पीडनका नाश करनेके छिये जो यस्न किये जाते हैं उमसें विज्ञ डाऊना घर्मका काम है। पुराने डत्पीडक जगत्‌ कोर नये समाजवादी जगवमें भारी विरोध क्षाज चल रहा है। उत्पीडक श्रेणियाँ पुरानी रीतियां स्थिर रखनेके किये घर्मकी शोर क्ाधिक ध्यान दे रही हैं। घमके सामाजिक मूल हैं शोषण, दरिद्रता, बेकारी, भौर लज्ञान ! हनका समाजवादी रूसमें नाश कर दिया गया है | चमं भूत- कारक] एक खंडर रष गया, इससे स्पष्ट है कि माक्सवादी क्षनात्मयादी हैं। थे समाजवादका खाभाविक संवन्ध मानने छगे हैं । एर किसी गूढ तत््वके क्राविष्कारकका कुछ विचार मान लेता एक वस्तु है, आर उनका स्वाभाविक संबंध दूसरी वस्तु है। संबंध स्वाभाविक भी होते ह शौर नैमित्तिक भो, स्वाभाविक सेबन्ध कभी दुटता नदी । प्र तैमित्तिक्‌ सेबन्ध निमित्त हट जनिपर नदीं रहता । न्यायशासत्रके प्रसिद्ध उदाहरण धूम नौर लभिके संबन्धको ভীজিম | घूम कार्य है और लपि कारण दहै। कार्यका कारणके साथ स्वाभाविक संबन्ध है, न्‍्यायकी परिभाषामें ब्याप्ति है, इस कारण घूम कभी बिना भप्निके नहीं रहता | कारणका कार्यके साथ सेबन्ध स्वाभाविक नहीं है, कारण बिना कार्ये भी रदं स्त है। भनि बिना धूमके भी पाई जाती है। कतार, सूर्थ की घूप, भौर बिजली भादिको विना भूभके देवा जाता है। कुछका संबन्ध दोनों शोरसे स्वाभाविक होता ই। জমি और तापका संबन्ध इसी श्रकारका ই | अप्ि बिना तापके भौर ताप बिना अप्िके नहीं रदता। जित दो में एकका भी स्वाभाविक संबन्ध न हो उनका नैमित्तिक सम्बन्ध हो सकता है । देवदत्त भौर यज्ञदत्त साथ साथ भी चलत हैं भोर एक दूसरेके बिना भी। इनका संबन्ध स्वाभाविक नहीं, नैमित्तिक है । समाजवाद भौर भनाध्- वादका कार्व-कारण भाव नहीं है। আল प्रकारका सो कोद इष प्रकारका सबन्ध नहीं प्रतीत होता जिसे स्वाभाविक कट्दा जा सके | श्रम्रकोंसे अतिरिक्त मूल्य उप्पन्न द्वोता है डसपर पूजीपति লিভ स्वामी वा बड़े ग्रामाथिपतिका अधिकार शनुचित है । इतनेका नाम है समाजवाद। यह उधका भसाधारण स्वरूप है। इसका अनात्मवाइके साथ




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