स्वामी श्रद्धानन्द | Swami Shraddhanand
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
716
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सत्यदेव विद्यालंकार - Satyadev Vidyalankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ड )
ले मन्दिर में आरती उतारने के समान दे | सिद्धांतों और
वेदिक ऋूचाओं के अनुसार जीवन ढालने वालों की जीवनियों के
साहित्य के चिना केवल उन सिद्धान्तों और प्रचारं को लेकर
लिखा गया महान से महान् साहित्य भी प्राणशुन्य देह और
प्रकाशशुन्य दीपक फे समान है | टेगोर-स्ट्वृति-प्रन्थ, हिवेदी-स्तृति-
प्रन्थ, ओमा-स्मृति-म्रन्थ सरीखा कौन-सा उद्योग अआयेसमाज में
हो रहा दे ! अजमेर-शताब्दि पर 'दयानन्द-स्मृति-प्रन्थः के लिये
किया गया यत्न सराहनीय है, पर जो काम शताव्दी-कमेटी को
सबसे पहिले हाथ में लेना चाहिये था, उसको सब के बाद द्वाथ
में लेने से ऐसे साहित्य के सम्बन्ध में आयेसमाज की मनोदृत्ति
का पता लग जाता दे | लेखक अपने कुछ स्नातक भाइयों के
सहयोग से आचाय ्रद्धानन्दजी का पत-न्यवदार, उनके चुने हुए
लेख तथा उनके संस्मरण बड़े-बड़े तीव हिस्सों में प्रकाशित करने
के लिये एक श्रायोजना तय्यार करना चाहता है, जिसमें वह
चैश्यदृत्ति से नहीं, किन्तु त्राह्मणबूत्ति से कुछ समय लगाने का
भी विचार रखता हैं | इन पंक्तियों को पढ़ने और इस जीवनी
को देखने के वाद यदि किसी सहृदय सज्जन के हृदय में उस
श्रायोजना में छुछ सहयोग देने की भावना पेदा हो, तो बह
लेक के साथ नीचे के पते पर पल्च-व्यवह्दार करने की कृपा
झवश्य करे | ्रायैसमाज मे बीरप्रूजञा की चिरस्थायी साहित्य-
सामग्री पैदा करने में सहयोग देना आपका कतेव्य है | शआशा हे
शाप उसका पालन करेंगे | श्रापके उस कतेव्य-पालन छारा ही
User Reviews
No Reviews | Add Yours...