मातृभाषा के पुजारी | Matre Bhasha Ke Pujari

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Matre Bhasha Ke Pujari by Srimati Jyoti Namdev - श्रीमती ज्योति नामदेवभारतेन्दु बाबु हरिचंद्र - Bhartendu Babu Harichandra

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Srimati Jyoti Namdev - श्रीमती ज्योति नामदेव

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भारतेन्दु बाबु हरिचंद्र - Bhartendu Babu Harichandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७४ प्रश्न प्रशापनाशियण मिभ ५1 दमारे झुदारे मी सभी ष्म यामौ पर निर्भर द| अथाम ही हादी पाइये बाने हाथी पौर । यानव म परय आपने और कपने पराये दो जाते हैं । দনাঘলমী তা গুদ १०६ « দহ হি রব फ शाप था महायर गा হতানধল “परी मिश्रा তি হন হঘলাসা স ঘ।হলকা লাঘব হট টি कि योतय दम में जाने है, स्मेन्यों एम उनकी प्रकृति भादिस नानि, नथा ठन स्पभाय फी अन्य विशेषतायों जानने की इन्दा प्रप्त होती जाती 81 इसफा प्रमुख कारण प হা जीयस सरस चीर सीधा सादा टमी मं भी दप्रपलित भाषा और विनोद फी पुट # अपनों दिला प्ररशिंस कर के फ़्निगता জান কটা चेष्टा টি नन उन्दनि छमी नहीं टी । जप झम्रिमता री नहीं, तय एम का थे सनद) रघसातश्रों में सरसता पाते एै। यही एकरूपता शोर বদলা নিয়া की इंक्षी की पनिष्ठता का प्रधान फार ण जान पद्त श 1 अपनी हुस अस्तिम विशेषता फे झारग ही श्नजी से अपन समपाक्षीस दिस्द्ी-सादित्य-सेबियों में চা नहीं, द्विवेदी युग है पु साल्त्य-निर्मासादों में भी 'मपना बिशेष स्थान धन लिया | भापा मिश्रिते भार्नद एगिस्सन्द्र की तरह टी, जनसाथारण फो प्रचलित भाषा फो श्रपनाया। पर भारतेंदजी फी भाषा में




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