अगले पांच साल | Agle Panch Saal

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Agle Panch Saal by आचार्य जी. एस. पथिक - Aachary G. S. Pathikवेंकटेश नारायण तिवारी -Venktesh Narayan Tiwari

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वेंकटेश नारायण तिवारी -Venktesh Narayan Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आग की छपटों में ५ पिर भी यदि कदाचित्‌ चीन पर आक्रमण हुआ तो पूर्व में युद्ध के बादल उमड़ने पर भारत उससे बच न सकेगा। भारत के लिए चीन की भिन्नता बड़ी गूल्यवान हूँ । इसलिए चीन के यूद्ध में पड़ने पर भारत को भी शामिल होना पड़ेगा । इधर काइभीर के मसले के लिए पाकिस्तान मुस्लिम देशों का सहयोग प्राप्त करने की ओर बढ़ रहा है । यद्यपि यह कहा जाता है कि मुस्लिम देश इस मामले मे निरपेक्ष हं । मगर यह कहाँ तक ठीक है, यह कहा नहीं जा सकता। मुस्लिम रियासतो की आपस मं तनातनी हौ, किवृ गैर-मुरिकिम देश के सामने वे सब एक कतार में खड़ी हो जाती ह । चीन, सुद रपू्वं ओर मध्य पूर्व के देशों में जो बगावतें हो रही हैं, उधल-पुथल हो रही हैं, कहना न होगा कि उस आग के बीच में हि्दुस्थान खड़ा है । माना कि हिन्दुस्थान की क्षेवा सुदृढ़ है, जबर्दस्त है, कितु. यदि उसकी आंतरिक अवस्था मजबूत नहीं हुईं तो यह देश दबी हुई बारूद पर खड़ा हुआ कहा जायगा। देश में शवितशाली शासन-व्यवस्था' होनी चाहिए, जौ प्रति- क्रियाबादी शक्तियों को दबा सके, अन्यथा हमने देखा कि सिल्र के शासन में कितनी तेजी से उलट-फेर हुए । इस समय देश' में जहाँ भूख का सवाल इतना जबदंस्त है कि जिसका हछ व होने पर ही चीन में राज्य-क्रांति हुई वहाँ हम बाहर के अनाज से कब तक देश में विद्रोह की आग को दबा सकेंगे? इसके लिए आर्थिक क्रान्ति द्वारा नए समाज की रचना अपेक्षित ह । दक्षिण भारत में कम्यू निज्म का प्रसार, और तोड़-फीड़ तथा बंगाल आदि में उसकी' बमबाजियाँ अशांति की प्रतीके ह । इराके सिवा नये राज्य-निर्माण करते की कल्पनां एसी चीजे हे, जौ देश की एकता को समाप्त कर देंगी और पुराने इतिहास की पुतराबृत्ति करेंगी। पंजाब में सिख नये राज्य की माँग करते हैं, यदि इस भावना से कोई सूचा भारत की सीमा पर बना, तो सोचिए कि उसका वेया परिणाम होगा ? यवि दक्षिण मे नेये-नये प्रान्तो की रचना कै सिवा कम्युनिस्टों ने कदाचित्‌ कोई स्वतंत्र राज्य कायम किया तो उससे सारे देश में अशांति फैल सकती है | इधर राजे-महाराजे फिर अपनी सत्ता कायम करने की उ्ेड़-बुन में जब-तब उमड़े पड़ते हैं। राजस्थान के प्रति-




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