अनेकान्त | Anekant
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
310
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कविवर रइधू रचित-प्तावय चरिड
जिण सासण काणण पंचाणणु
शंदिसंघ णंदिय तव माणखु
सह॒ वंभ रयखेह पयोर
दिव्य वाणि उप्पाइय जणदिहि
सरसह गच्छे गच्छू सख्याहिउ
चाल बंभयारी सज साहिड
सिरि जिणचंदु भडाग्ड सुखणिवद्
त& पय-पयस्ह चदिवि क्डवद
जा सस्थध्थुपरचितद पावणु
जिणहरि अज्जतउ सुह भावणु
বা तत्थाइण्ण सुह जोषं
भष्य. चित्त उष्पाहय লী
चायम चरिय पुराण बियाणों
रेक्कणि साहु गुणेख पाशं
पंडितत्थ तेण विण्णत्तउ
करमड लेप्पिणगु वियसिय वत्तउ
धत्ता--मो भा कद्वयण वर, दुक्किय रय-दर, पद कद्दत्त भरुवहिउ सिरि
खिसुणहि शिम्मल मण, रजिय बुहअण, ्वसुहायरमच्चगिरि ॥ २॥
जिह पडदह रयउ महापुरागु
नद्ध महा पुरिसाहिदुटाग्यु
जह पुण गहा बंधेण सार
विरहया पयडु सिद्ध तसारू
पुख्णासउ मेहसरूचरित्त
जसहरचरियड पुणु दयणिमित्त
अचर चि जिह णाणा मय नन्थ
नह खसावयचरिड भणेहु इन्ध
त कणा पडिड उत्तर पत्त,
तह कहिड करमि हंड तुह হান,
परणिय मिण सोय 1 शर पहाणु
जो सत्थ मातु उव्वहदह जग्गु
जा वद्िणड कोवि महत्त, हाद
ला किस वित्थरई ससत्थु लाइ
पुणु ई क्रणि जंपह वियसियस्सु
श॒त्थु जि गोवग्गिरि सुद्द पयासु
तामर कुल कमल वियास-मित्त
दुख्वार-३ रिसंगरश्चतित्त,
डगर লিঙ্গ रजधरा समन्धु
बदियण समप्पयिय भूरि शल्धु
चउराय तिन पालख अतंदु
िम्मल् जसवली भवण-कंदु
कलि चक्रव पायड णिहाणु
सिरि कित्तिसिघु मदहिवड् पारु
तहू रन्ति वणी सु-मदहाणुभाड
गोलाराडय হ্যা আনা
ক্ষমা सयाहिड विदिय शमु
वुहयण कुवलय पालय थमु
सुदग्गापिय मम रपूण र्त्,
सग वस्णा पाद वासण विरत,
धत्ता-- नहु हुव वर खंदणु, दुरिय णिकदण चारिदाणरं दुरिय्र हरा
कइ चित्र पऊुसण गाक्तद्दा तासरिगरुवस गुरा-गरणा-रयण-घरा ॥| ३ ॥
पढमिल्लु घम्म धुरि दिन खंघु (१)
साहम्मिय शर क्य पणय-वंधु
तवयरण पमुह गृणरयण-मेहु
रखिव्वाहिड चडविह संघ-गेहु
माणिक्त साहु मणि मुणिय तच्चु
कह मविण पयंपट्ट गिरि ञअ सच्चु
बीयउ पुणु परडवयारलीणु
जिण गुण परिणय उद्धरिय दीखु
जिण काराविउ जिणहरु सस्सड
धयवडपनिद्िं रह-सूरतड
ব্য मंतत्तणि কজিমত হাত
सावय-विहाण কলা राड
परणारि-परम्सुहु-विगय-ला हु
असपति साहुजण जणिय मोह
दुत्थिय (विखय १) जण पोसण कामधेणु
चरदाण पूर परण करेण
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