उन्नत मौद्रिक अर्थशास्त्र | Unnat Maudrik Arthashastra

Unnat Maudrik Arthashastra by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुद्रा का सिद्धान्त 7 टेलीफोन पर सूचना देने परे ही जमा या खर्च लिखकर व्यवहार किए जाते लगे हैं। मुद्रा के विकास को निम्न चार्ट द्वारा समझाया जा सकता है : मुद्रा का নি विकास [ | क्र विनिमय न्द श मुद्रा साख मुद्रा 1 তত হিল = श न লাল এ] उपभोग बस्तुएं पूजीगत न टोकन कीमती (चावल, गेह, वस्तुएं (चाकू, जसे जानकये घातुएं मछली, जानदर) ছান্হ আহি) की खाल आदि 15১ | शी টি নারি | कागजी पत्र प्रतिनिधि पत्र परिवर्तनीय अपरिवर्तनीय मुद्रा कागजी मुद्रा कागजी मुद्रा मुद्रा के विकास के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि प्राचीन समय मे मुद्रा के आगमन के पूर्व पत्थर, दांत एवं अन्य वस्त्‌ए मूद्रा के रूपमे प्रयोग कौ भाती रही है । जमनी भे 1945-1945 मे सिगरेटो को भुगतान के रूप मे प्रयोग किया जाता पा। भिन्न-भिन्न समय मे माध्यम के रूप मे जिन-जिन वस्तुओं का प्रयोग किया गया उन्हे निम्न प्रकार रवाजा सकता है :-- মি नार्वे बकरे लोहा खालें पत्थर दास-लोग निकिल दांत सुर ঘাঘল कागज जानवर लोहा चाय चमड़ा शत श तम्बाकू पेस्तकागज 3 तल জন ताश भेड़ রি चांदी नमक व्यक्तियों के ऋण सूछी ঝা सोना अनाज बेकों के ऋण छड़ें হাহা सरकारी ऋण चाकू उपयुक्त सारिणी के अध्ययन से स्पष्ट है कि मुद्रा के रूप में भिन्‍न-मिन्‍्न प्रकार की यतुम को विनिमय माघ्यम्‌ के रूप में प्रयोग किया गया। इन वस्तुओं को उचित दंग से वर्गीकृत ढंग से रखना सम्भव नही है। इन समस्त वस्तुओ में विनिमय के माध्यम का गुण विद्यमान रहा जो मद्रा का प्मूल् सक्षण माना जाता है। मुद्रा के विकास का इतिहास दिल- चस्प एवं आइचर्यजनक रहा है । [হত णि 1, 0900115৮০০৩ 8০০20015 01 १०९ ' হা 9200055 1 (চৃ০০ < ०, परण शण 1 964)--7०ए४०१०८९८४ छ9 |. 2. एक : খাতার রা अष 0, ঢা 1011,




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