बन्दी | Bandi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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No Information available about कपिलदेव नारायणसिंह "सुहृद" - Kapildev Narayan Singh 'Suhrid'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उनकी समर-कला से विचलित
सा हो गया झुदीक्षित का दल।
किन्तु, उसी क्षण सेनापति ने
दिखलाया अञुप्म रण कौशल ॥
वीर सुदीक्षित ने ज्वाला की
लाल लाल लटो सा वद्कर।
कर गणित आधात क्रिया
भय कस्पित्त रि-मरडल जो पल.भर ॥
अगणित खरिडित रुण्ड मुण्ड से
पाट दिया समरस्थल क्षण में !
उसके स्नाय याघारतो-
से खलबली मच गई रण में॥
किन्तु, ओज संस्फृर्ति शौय्ये से |
अरि भी इए युद्ध में तत्पर ।
धा दुर्भाग्य देश का, सैनिक
सद न सके याघात उभम्रतर ॥
सुच्ड सैनिकों रो रखने में
विफल हुए सेनापति के সল।
भाग चली सेना स्वदेश की
द्ड गया अतुलित वल संयम ॥
तीन
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