असली सन् १८७५ का सत्यार्थप्रकाश | Asali San 1875 Satyarth Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
60 MB
कुल पष्ठ :
570
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सत्या्थंप्रकाश की छाछालेदड। [ १५ ]
পাম পাপা সিলসিলা ৯ লাস্ট পাপ সিসি
कारिणी सभा कहां स्रो गई थी जो उस पर दावा नहीं किया
और आज हमारे ऊपर दावे को तेयार है । । (२) जब इस
सत्यार्थप्रकाश की रजिस्टी राजा जयकूष्णदास के नाम से
हुई है तब तुम दावा करने वाले होते कौन हो । ( ३ ) तुम्हारे
ऊपर दावा क्यों नहीं किया जाय जो तुम द्यानन्द् के नाम से
भठे सत्याथप्रकाश बना कर छापते हो और खंसार को
धोखे म॑ डालते हो। (४ ) यदि आ्रापको दावा करना है तो
अवश्य कीजिये किन्तु हमारा জা खर्चा पड़ेगा उसके शाप
| जिस्मेदार होंगे। यह नोटिसका उच्तर हमने भेज दिया |
खायससमाज का रुदन ।
नोटिस का उत्तर वक्ीलोको दिखाया गया । वा° घासी-
राम एम० ए० वकील मेरट श्रादि समस्त वकीलों न कहा
कि तुम्हारा दावा चल नहीं सकता | वकोलों के इस कथनको
| सुनकर श्रायंसमाज के घर হম राना मच गया | कोई कहता
| था कि नाक कट गई | काई कहता था कि श्रकेले पं० काल्-
| राम ने अढाई लाख भरायसलमाजियो के मुखपर स्याही केर
| दी | चिल्लाकर अपने घर बैठ रहे। इसके बाद वेदप्रकाश ने
$ फाल्गुण संवत् १६७० के अडु मं यह लिखा--
श्रार्यसमाज का वकीलमंडल ।
जहां देखो वहां ही चाहे पञ्ञाब चाहे यू० पी० या अन्य |
| प्रदेश, समाजोकी अन्न्तरंग सभा, प्रतिनिधिकी अ्न्तरंग सभा, |
सभी में वकीलों की संख्या अ्रधिक है | यू०पी० की प्रतिनिधि |
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