असली सन् १८७५ का सत्यार्थप्रकाश | Asali San 1875 Satyarth Prakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सत्या्थंप्रकाश की छाछालेदड। [ १५ ] পাম পাপা সিলসিলা ৯ লাস্ট পাপ সিসি कारिणी सभा कहां स्रो गई थी जो उस पर दावा नहीं किया और आज हमारे ऊपर दावे को तेयार है । । (२) जब इस सत्यार्थप्रकाश की रजिस्टी राजा जयकूष्णदास के नाम से हुई है तब तुम दावा करने वाले होते कौन हो । ( ३ ) तुम्हारे ऊपर दावा क्यों नहीं किया जाय जो तुम द्यानन्द्‌ के नाम से भठे सत्याथप्रकाश बना कर छापते हो और खंसार को धोखे म॑ डालते हो। (४ ) यदि आ्रापको दावा करना है तो अवश्य कीजिये किन्तु हमारा জা खर्चा पड़ेगा उसके शाप | जिस्मेदार होंगे। यह नोटिसका उच्तर हमने भेज दिया | खायससमाज का रुदन । नोटिस का उत्तर वक्ीलोको दिखाया गया । वा° घासी- राम एम० ए० वकील मेरट श्रादि समस्त वकीलों न कहा कि तुम्हारा दावा चल नहीं सकता | वकोलों के इस कथनको | सुनकर श्रायंसमाज के घर হম राना मच गया | कोई कहता | था कि नाक कट गई | काई कहता था कि श्रकेले पं० काल्‌- | राम ने अढाई लाख भरायसलमाजियो के मुखपर स्याही केर | दी | चिल्लाकर अपने घर बैठ रहे। इसके बाद वेदप्रकाश ने $ फाल्गुण संवत्‌ १६७० के अडु मं यह लिखा-- श्रार्यसमाज का वकीलमंडल । जहां देखो वहां ही चाहे पञ्ञाब चाहे यू० पी० या अन्य | | प्रदेश, समाजोकी अन्‍न्तरंग सभा, प्रतिनिधिकी अ्न्तरंग सभा, | सभी में वकीलों की संख्या अ्रधिक है | यू०पी० की प्रतिनिधि |




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