सम्मेलन पत्रिका | Sammelan Patrika

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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

प्रेमनारायण शुक्ल - Prem Narayan Shukla

डॉ प्रेम नारायण शुक्ल का जन्म कानपुर जिले की घाटमपुर तहसील के अंतर्गत ओरिया ग्राम में २ अगस्त, सन १९१४ को हुआ था। पांच वर्ष की आयु में माता का निधन हो गया था, पिता जी श्री नन्द किशोर शुक्ल, वैद्य थे। आपकी सम्पूर्ण शिक्षा -दीक्षा कानपुर में ही हुई। सन  १९४१ में आगरा विश्वविद्यालय से एम. ए. की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त हुआ थाl इसी वर्ष अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन की 'साहित्यरत्न' परीक्षा में भी आपको प्रथम श्रेणी में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त हुआ। श्री गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा चलाये गए  अखबार 'प्रताप' से  शुक्लजी  ने अपने जीवन की शुरुआत  एक लेखक  के रूप में की l

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पृष्ठ संख्या खण्ड : १२ १६१-२२८ আতা शिवपूजन सहाय के पत्र पण्डित रामगोविन्द लिवेदी के नाम पत्र-संल्या-२७० से २७४, २७६ से २८४, २६६ से २६८, ३००, ३०४-३०५। पण्डित देवीदस शुक्ल के नाम पत्र संश्या-२७५, २८५ से २४५, २६६, २०१ से ३०३ तथा पण्डित किशोरीदास वाजपेयी के नाम पत्न-संख्या-३०६ জে ৫18 २३३-२४५ पृण्डित उदयशंकर भट्ट के पत्र श्री प्रभात शास्त्री के नाम पत्र-षंख्या-३०७, ३०८, ३१० से ३२८ तथा पण्डित देवीदत्त शुक्ल के नाम पत-संढया-३२६ से ३३७ से ३४१३ श्री प्रभात शुक्ल के नाम पत्र-संख्या-३०४




User Reviews

  • Ranjana Dixit

    at 2020-09-09 15:23:48
    Rated : 9 out of 10 stars.
    patr visheshank kalantr mein 'kuchh divanggat sahitykaron ke patr' ke nam se pustak ke rrop mein bhi prakashit hua
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