राजभक्ति अर्थात मनुष्यधर्म - दर्पण | Rajbhakti Arthart Manusya Darpan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
162 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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पदा उत्तम, मध्यम और अधम भेद के
संसग से वैसेही उत्तम मध्यम नीच गुणों को प्रकट
करता है जैसे स्वांती का बूँद जलते हुए लोहे पर
पड़ने से ततक्षण जल जाता है, उसका नाम तक भी श
नहीं रहता और वही बूँद कमल के पत्र पर पड़ने से...
मोती के सदश्च शाभित होता है । फिर वही वृद समुद्र
की सीप में पड़ने से साक्षात् अमूल्य मोती हो जाता...
है । इसी प्रकार वह मानवधम भी पात्र-मेद से
अनेक रूपों के गुणरूप फल में प्रकट होता है
जिससे नाना प्रकार के मनुष्य इस संसार मे दिखाई
देते हैं, इसके और मी प्रमाण हैं जिसमें एक यह है-
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