महान परिवर्तन | Mahaan Parivartan

Mahaan Parivartan by फ्रेडरिक लुई एलन - Frederick Lui Elan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१८ महान्‌ परिवर्तन मैदान में वेजवाल खेलें घोर पास-पड़ोस के जंगलों तया ,नदियों में शिकार करें पोर मध्ली मारे | परन्तु इधर उद्योगदाद नदियों को गंदा करता जा रहा था, खुलें मैंदानों मे घर वनने लग गये ये ततथा सेतौ दरू हौ सयौ थी ! प्राकृहिक क्रीडा-स्वार वीरान भिये दा रहे थे, भोर मे की बात तो यह थी कि इनके बदलें नया साधन नही जुटाया जा रहा था। उस क्ष्माने में सार्वजनिक पुस्तकालय न ये । हाईस्कूलो में छोटे भरं सा्व॑- जनिक पुस्तकालय हमा करते ये । न कोई बाई. एम. सी. ए. था, न कोई बाल- चर संख्या थो, न कोई ^ एव संस्था यी; न कोई स्कूल बैंड, न स्‍कूल का वाद्यदुन्द भा भोर न ही स्कूल की कोई गायनन्धना यो 1 यह भमेरिकावालो के जीवन का स्थायो विशेष गुण मालूम होता है कि उनकी संस्थाओं का विकास उनके वेयक्तिक विकास के साय नहीं चल पाता । 'कम से कम यह तो बिल्कुल सत्य बात है कि १६०० के प्रमेरिका के कतमे वदते #हए सौद्योगिक युग को आवश्यकतामो के झनु रूप झपने को ढालने में म्रसफल रहे । ६ संगठित खेलों के विकास में उप्ती तरह को शियित्रता थो। सीमा प्रदेश की परम्परा और अमेरिकावालों का पुराना व्यक्तिवाद बाघक बने ही रहे । भधिकतर परमेरिकी लड़कों भौर पुरुषो के सक्रिय मनोरंजन के सोमित साधन थे --- शिकार खेलना, मछलों पकड़नां, शिविर लगाता ; तेरना, घुड़तवारी करना या चाँदमारी प्रतियोगिता से मनोरंजन प्राप्त करता ; जिनके झाविर्माव का ঈন লুল देहात के वातावरण कौ है । ঈত্রনাঁজ बहुत दिनों तक राष्ट्रीय खेल रहा भौर उस खेल को लाखों लड़कों ने सोख लिया था ३ परन्तु उतकी गतिविधियाँ भपने ही तब तक सीमित रहती थों। यदि कोई निपुण खिलाडी होता तो वह झपने कस्बे की टोम की भोर से पड़ोप्त के किसो कस्बे की टीम के विरुद्ध खेलने जाया करता। सड कियों के लिए परम्परागत विचार यह था कि वे निर्बल प्राजी हैं; मोर कम से कम इस শর के कठोर परिश्रम के लायक तो ये हैं हो नहीं 1 स्वूस झोर कालिजों में संगठित खेल ठेवो छे उप्तति कर रहे थे ; फुटबॉल, बेजवॉल जो कि बाद की स्‍्पेष्ता तद कालिज का सधिकाधिक गौरवपूर्य खेल धाः, नाद सेना, रैक भौर छोटे पैमाने पर साक्कर ठया लेक्ोस 'हाकी जैता सेंस'




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