तांत्रिक सिद्धियाँ | Tantrik Siddhiyan

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Tantrik Siddhiyan by डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली - Narayan Dutt Shrimali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पूर्ण हो प्रयत्न यही किया गया था कि सभी के पास परिचय पत्र हो जो इसमें भाग लेने वाले थे। कई तात्रिक तो प्रात ही आये थे फिर भी व्यवस्था में किसी प्रकार की न्यूनता नहीं थी और सभी को परिचय पत्र जाघ पड़ताल करके दे दिए गए थे । सम्मेलन मे लगभग ४०० तारिक ओर मातिक इकट्ठे थे और वास्तव मे ही वे सभी एक दूसरे से वढ-चढकर थे कोई किसी से अपने आपको न्युन नहीं समझ रहा था । सभी विशिष्ट साघनाओ से सम्पन्न थे और अपने क्षेत्र मे दक्ष तथा लब्घ- प्रतिष्ठ व्यक्तित्व से सम्पन्न थे । मैंने घामिक ग्रन्थो मे ही शिवजी की बारात के बारे मे पढा था परन्तु इस सम्मेलन को देख कर मैंने अनुमान लगा लिया कि शिवजी की बारात में किस प्रकार के व्यक्ति सम्मिलित हुए होंगे । सम्मेलन मे ४०० से कुछ ज्यादा ही साछु योगी अघोरी तात्रिक आदि थे और सभी की वेपभूपा अपने आप मे विचित्र थी । अधिकाश लगोटी लगाए हुए थे और पुरे शरीर पर भूत मली हुई थी । कुछ की जटाए इतनी लम्बी थी कि चलने पर पीछे जमीन पर घिसटती थी कुछ ने तो लोहे की लगोट ही लगा रखी थी । सम्मेलन मे सो से ऊपर साधु ऐसे भी थे जो स्वेथा निर्वस्त्र थे । कुछ तात्रिको ने हड्डियों की माला पहन रखी थी । एक तारिक ने तो गले मे ११ नरमुण्डो की माला ही पहनी हुई थी । किसी-किसी तात्रिक के गले मे विचित्र मणियो की माला थी तो कुछ साधु इतने अधिक कपडे पहने हुए थे कि उनका सारा शरीर उन कपडो मे छिप गया था । एक साधु ने कमर पर नरमुण्डो की कर- घनी वाघ रखी थी । इसमें कुछ भैरविया भी थी सभवत उनकी सख्या १४५ से २० के बीच में थी । इसमे कुछ तो पुर्णत वृद्ध दिखाई दे रही थी पर एक दो भैरविया ऐसी भी थी जो अत्यन्त सुन्दर और तेजस्वी थी भौर उनकी आयु २० से २४ वर्ष के वीच होगी मुझे भाधचर्य था कि इस छोटी आयु मे उन्होंने किस प्रकार से इतनी कठिन क्रियाओं को सम्पन्न कर लिया होगा परन्तु ताश्रिको की गति विचित्र है हो सकता है उन्होंने कुछ क्रियाओं के माध्यम से अपनी आयु को वाघ रखा हो और अपने यौवन को अक्षुण्ण बनाए रखा हो । कुछ हरु योगी भी थे । एक हठ योगी का पाव इतना अधिक फूला हुआ था कि उसका घेरा छ फुट से ज्यादा ही होगा । कुछ हठ योगी विशालकाय थे एक दो इठ योगी के हाथ लकडी की तरह दूठ हो गए थे । इस सम्मेलन में काफी अघोरी भी थे जो कि पूर्णत निर्वस्त्र थे ओर देखने मे भीमकाय राक्षस की तरह अनुभव हो रहे थे उनके शरीर पर जरूरत से ज्यादा मल जमा हुआ था और जब वे पास से गुजरते तो दुगेन्ध का एक भभका सा अनुभव होता परन्तु वे इन सबसे वेखबर थे और अपनी ही घुन मे मस्त थे । इनमे कुछ विशिष्ट वाम मार्गी तानत्रिक भी थे जिनको यदि सामान्य जन देखले तो बेहोश हो जाय । उनका शरीर श्रपने आप मे भयकर था साल भाखें डरावना




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