प्राथमिक कक्षाओ का पठन शब्द भंडार | Prathamik Kakshaon Ka Pathan Shabd Bhandar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4 प्राथमिक कक्षाओं का पठन शब्द भंडार 1.3 शोध कार्य की परिसीमाएँ 1.3.1 पठन श्द्ध भंडार के आकलन, विश्लेषण और मूल्यांकन का क्षेत्र बड़ी व्यापक है अतः प्रस्तुत शोध कार्य के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उसे परिसीमित कर लिया गया है। इस शोध कार्य का प्रख्य उद्देश्य हिन्दी की पाठ्यपुस्तकों के लेखकों के लिए उपयोगी शब्द सूची तैयार करना ओर प्रयोग कियो जाने वारे शब्द भंडार के संबंध में अन्य जानकारी देना है। अतः इस शोध से संबंधित शब्दावली का आकलन विभिन्‍न राज्यों मे प्रयुक्त होने वाली कक्षा 1 से 5 तक कौ पठन पुस्तकों तक ही सीमित रखा गया है। शब्दावली को अन्तिम रूप देते समय छात्रों के मौखिक, लिखित शब्द भंडार तथा प्रौढ़ों के लिए आवश्यक शब्द भंडार को भी ध्यान में रखा गया है किन्तु मुख्य জীন हिन्दी भाषा की पाठ्य पुस्तकें ही हैं। 1.3.2 इस शोध कार्य में बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हिमाचलप्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में तैयार की गई कक्षा से 5 तके कौ पठन पुस्तकों का विश्लेषण किया गया है। इन राज्यों के अतिरिक्त केद्रीप विद्यालयों में प्रपुक्त, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्राशीक्षण परिषद्‌ द्वारा ऐैयार की गई पुस्तकों को भी साम्मिलित किया गया है। इस निर्णय का आधार यह था कि एक तो इन पुस्तकों के द्वारा सभी-राज्यों के केन्द्रीय विद्यालयों में एक ही प्रकार की शब्दावली को पढ़ना सिखाया जाता है, दूसरे ये पुस्तकें राष्ट्रीय स्तर पर प्रयुक्त शब्दावली का नमूना प्रस्तुत करती हैं। इस प्रकार इस आध्यन के अंतर्गी कक्षा 1 से 5 तक की हिन्दी पाठ्य पुस्तकों के आठ सेटों की कुछ 45 पुस्तकों का विश्लेषण किया गया है। 1.3.3 शोध कार्यं मेँ सम्मिलित की गई पस्तकों कै शब्द भंडार का आकलन न्यादर्शं पद्धति से नही किया ग्या ह। कक्षा 1 ओर 2 में चूकि पाद्य पुस्तक का हर शब्द छात्र को पढ़ना सीखने का अध्यात प्रदान कप्ता है, कक्षा 1 ओर 2 की पुस्तक में प्रयुक्त हर शद को इन कक्षाओं के शब्द भंडार के रूप में आकत्षित किया गया है। क्रा 3 मे 5 तक की पस्तकं भे से भी संरचनात्मक शब्दों को छोड़कर सभी शब्दों का आकलन किया गया है। इन पुस्तकों में आए मुहावरों, परदर्बषों और विशेष प्रयोग का भी आकलन अङग पे किया ग्या है। 1.3.4 इतत शोध कार्य का आधार हिन्दी की पाट्यपस्तके है। ये पाद्य पुस्तके मानक हिन्दी में लिखी गई हैं अतः प्रस्तुत अध्ययन के परिणामस्वरूप तैयार किया गया शब्द भंडार मानक हिन्दी का ही है किन्तु इस अध्ययन के अंतर्ग विशेषित अधिकांश पुस्तकें प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम नवीनीकरण परियोजना के अतगत बनाई गई थीं, उनमें स्थानीय शब्दों और प्रयोगों का होना स्वाभाविक ही था तथा उसे गुणकारी भी माना गया था। इस प्रकार यह अध्ययन विभिन्‍न राज्यों मेँ प्रयुक्त स्थानीय प्रयोगों का भी निर्धारण करता है।




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