ब्रजविलास | Brajvilas

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Brajvilas by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न निजमुखसुकरदेवकीदिष्यो| (सरदचेदेपर सम लेख्यो॥ मिसीनिमिरमश्निषुलपाये (जान्योकंसकाल दर सायो प्रकऋएगमन न आयेसकलजनावन सेव1॥ नसनेंगर्भलुतिसबकरदी जैजेजेजे जे उच्चरही ५ जेद्रद्या पिव सेव्य सदा | |ॐवेटान वेद्‌ सर सादे ५ जे वीरयपढमर्वानधिवोहित | प्र्ल पालजेदौनमकेदित संकल्पं सस्यशण ामा॥ जिजनवोकिते पूरण कामा ||जे योधिजहिवनरतनु चा जे सेनय परतिगनि्पयहारे जिकृपान जानेद वरुथा॥ ` वंदितचस्णण्फसंबुए्यया ই 1स्थमित जनूपा म एुरूषस्वस्च मय्‌ एनितनकेगुखः नायगुरश्रेव नपाद ुनिजनमनध्यानग्वै भति्धीनवेटे यशा गते अलखभररपंफनीहमजप्रसुण द्रव लनादि ` गभयक्तिसो देवको कौनुकानिधि सव्वोधि ४ | सोभ्कनेह न यये मेवसोषमहेष्रगरोऽावध || ` नमोनमेनहि देव परस्विचिचरचिप्रसं॥ ` करविनवीसुरसदनतिधारे | यरमानदमगने सन भरे ॥ | च यासं ৪৯০ १ वचने प्रेम सो सान॥ सय डयायकरुकीजे | | वाजकरबलीजे॥ घिवल छलपीकीजे রী जमित चां यं होड ॥ भंसनवच्पवके यजन देममउद्रंदेव अगवाना ॥ বন যাক নাল उपमवसजायतोजाऊँ | पनियहंसुर्ताहतकरियडपाक, क्चमेसवर्हांगिहित भाखें। ১৯৭ ১ |




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