स्वर्ग और नरक | Heaven And Hell

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Heaven And Hell by इमैनुअल स्वीडनबोघ- Emanuel Swedenborg

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सचीपत्र । | ই प्रष्ठ छर किसौ के जीवन के श्रानन्द भृत्य के पीछे ऐसे आनन्द दो जाते दे जो जीवन के आनन्दां से प्रतिरूपता रखते चँ ००५ ००« ३०२ झत्य के पोछे मनष्य की पद्चिलो आवस्था के बारे में ००५ ००० 80९ प्रत्य के पीछे मनष्य को दसरी जआवस्या के बारे में ९०० ००१ {| प्रत्य के पीछे मनष्य को तोसरो अवस्था জী জাই में जा शिक्षा को बह आ्रबस्था है जो स्थगेनिवासियों के लिये प्रस्तुत को हुईं है *.. इर३ জীব मनष्य दिना होड़ किये दया हो के द्वारा स्वगे का नहों जाता ३३० उस चाल पर चलना जो स्वगे की ओर पहुंचातो हे रेखा दुष्कर नहीं हे जैसा बहुत से लोग समभते हैं *** *** १०० ३३५ नरक के बारे में नश्कों में प्रभ के ज करने फे बारे में ०० ०११ ৮০০ ३४५ प्रभ किसी अत्मा का नरक च नहं गित देता परन्त बरे आत्मा अपने के गिरा देते है '** '** + ०५, ३४९ नरक के सथ निवासो बराइयों में हैं और उन भुठाइयों में जो बराइयों से निकलती हैं ओर जो आत्मप्रेम ओर जगतपरेम से पेदा हाती ह ३५३ नरक की आग का श्रर दान्त पौसने का क्या तात्पये हे ००, ३६8 नरकीय आत्माओं को अगाध दुष्टता ओर भयङ्र चतुराद के बा ३७९ नरका के दिखाब ओर स्थान ओर बहुसंख्या के बार मे **: ৮০৪ ३७५ श्यमे आर नरक कं सब्रतालत्व क वारम ००१ ००० ००० 8८० स्वगे ओर नरक के समतोालत्व के कारणा .मनुष्य स्वतन्त्रता कौ अवस्था में है ३८६ ब्रनक्षम णिका ৪৪৪ -... 0९७ 6৬৩ ৪9৩ ৪৪৪ 880 ३९८३




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