ऋक् सूक्त संग्रह | Rik Sukta Sangrah
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
है जैसे सुर्ये की बाहुओों का वर्णन मिलता है जोकि उसकी किरणें ही
हें। श्रग्ति की जिल्ना भी उसकी ज्वालाएँ ही हैँ । उंचका निवास चुलोक
मे है जोकि विष्णु का तृतीय पाद है । वह वे सोम-पान कर श्रानस्द-
मग्न रहते हे । देवताभ्रों का कायं मनुष्यों कौ हानिकारक शक्तियो को
दूर करना है। प्राणियों पर उनका श्रधिकार ই। वे मनुष्यो को
श्रभ्युदय प्रदान करते हैं। रुद्र ही एक ऐसा देवता है जो चाहे तो
मनुष्य की हानि कर सकता है । देवताश्रो में एक से मृण लिलते है
तथा सब देवता एक हो महादेव के रूप-रूपान्तर है किन्तु इसका অহ
मतलब नही कि एक हु! देवतावाद ऋग्वेद को अ्रभिप्रेत है क्योंकि
किसी भी यज्ञ में एक देवता के लिये श्राहुति या पुरोडाश का प्रदान
नही मिलता ।
स्वर्ग-स्थानीय देवगण
আত্, অত, লিন, सूये, श्रवन् तथा उषा श्रौर रात्रि नाम कौ
देचियां ।
प्रन्तरिक्ष-स्थानीय देवगण
इद्र, प्रपानपात् , रुद्र, मरुद्गण, वायु, पजन्य एवं श्रायह् ।
भू-स्थानीय देवगण
पथ्वी, श्रग्नि और सोम । कुछ चदियाँ भी देवियाँ मानी गई है
जसे सिन्धू ( [5009 ), विपाशा (व्यास), शरुुद्ि (सतनुज) जो क्न
पंजाब की नदियाँ है ।
बौद्धिक (^ ०5८२८०६) देवता
धाता या ब्रह्मा या प्रजापति को सृष्टिकर्ता জানা আলা উ জী कि
सूर्य, पृथ्वी और चन्द्र का .भी उत्पादक है। त्वष्टा भी देवता ह जिसके
धर ने बैठकर इन्द्र सोमरस पाव करता है। त्वष्टा सरण्यु का पुत्र है
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