प्राचीन भारतीय साहित्य | Prachin Bhartiya Sahitya

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Prachin Bhartiya Sahitya  by डॉ० नारायण प्रसाद -Dr. Narayan Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतिहास जानने के साधन ( 5007665 67 91507फ ) उपक्रम -- मोदे तोर पर इतिहास निर्माण के साधनों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है-- ?--साहित्यिक | २--पुरात त्व सम्बन्धी | (१) साहित्यिक साधन तीन प्रकार के हं--अनेतिहासिक साहित्य, ऐतिहासिक साहित्य तथा अभारतीय साहित्य | (क) अनेतिहासिक साहित्य-- भारत का प्राचीन साहित्य प्रधेथा धार्मिक होने के कारण उसमें शुद्ध इतिहास बहुत कम मिलता है, किन्तु कुछ भ्रन्धों में ऐतिहासिक उल्लेख बिखरे हुए रूप में पाये जाते हैं | इन भन्धों में ऋगेद, शतपथ- ब्राह्मण, तैतरीयन्राह्यण, बौद्धो के त्रिपिटक, जनों के इछ अङ्ग- महा. वस्तु-खलितविस्तार, पाणिनि की अष्टाध्यायी; बारादमिहिर की बृहस्संहिंता आदि हैं । (ख) ऐतिहासिक साहित्य-- इस कोटि में सर्वं प्रथम रासायण तथा महाभारत की गणना होती है । यद्यपि नाराश घी गाथाओं एवं अन्य आख्यानों मे इतिहास के बीज पड़ चुके थे तथापि उनका विकशित रूप हमें रामायण एवं महाभारत मेही देखते को भिल्ला है। इन मदाकाव्यों के अनन्तर अष्टादश पुराणों का स्थान है। पुराणों में चर्शित विषय पाँच हैं--




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