राजस्थान लोक न्यास अधिनियम | Rajasthan Lok Nyas Adhiniyam

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Rajasthan Lok Nyas Adhiniyam by आर॰ एल॰ जैन - R. L. Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ परिचयात्मक/9 भ्रधिनियम के श्रन्तविष्ट कोई बात लोक अथवा व्यक्तिगत धामिक या पूर्व विन्यास पर लागू नहीं होगी । परन्तु चू कि श्रधिनियम में दिए गए सिद्धान्त आश्लरॉग्ल विधि के नियमों तथा सामान्य सिद्धान्तों पर आधारित हैं, अतः इन सिद्धान्तों को लागू किया जा सकता है। ऐसे विपय जिनके लिए कोई उपवन्ध नहीं किया गया हैं श्रौर यदि चहं न्यायालय के नियमों तथा कार्य-प्राली से प्रसंगत नहीं हैं तो भारत के न्‍्यायवा- लय श्रांग्ल विधि के सिद्धान्तों तथा नियमों को लागू करते हैं 1! घारा 6 में समाहित निजी न्यासों के सृजन हेतु श्रनिवायंताएं समान रूप से लोक न्यासों के सृजन में भी लागू होंगी । सम्पत्ति श्रन्तरण अधिनियम 1882 शाश्वतता के विरुद्ध नियम (धारा 14), पृश्रिक हित की निप्कलता पर ग्रन्त- रण प्रभावी होना (घारा 16) एवं संचयन के विरुद्ध नियम (धारा 17) निजी व्यक्तियों के पक्ष में दान एवं वसीयत के मामलों मे प्रभावी होते हैं किन्तु अधिनियम की धारा 18 के उपवन्ध द्वारा घामिक एवं पुण्यां विन्यासो को इनसे मुक्त कर दिया गया है | घारा 18 इस प्रकार है--- घारा 14, 16 और 17 के निवेन्ध रेते सम्पत्ति-अन्तरण की दशा में लागू नहीं होंगे जो लोक के फायदे के लिए घमं, ज्ञान, वारिज्य, स्वास्थ्य, क्षेत्र को या मानव जाति के लिए फायदाप्रद किसी श्रन्य তরুন কী পয়অব करने के लिये किया गया हो । पुण्याथं विन्यास श्रधिनियम 1890 इस अ्रधिनियम की धारा 2 में पुण्यार्थ प्रयोजन को परिभाषित किया गया है, जो निम्न प्रकार से है :-- पूवे या पुण्याव॑ प्रयोजन के श्रन्तर्गत निर्धनों को अनुत्तोप शिक्षा तथा चिकित्सा सम्बन्धी श्ननुतोप एवं किसी श्रन्य सामात्य जनोपयोगिता उद्देश्य की समु- লি के प्रयोजन सम्मिलित हैं किन्तु अ्रनन्य रूप से घामिक शिक्षण प्रववा उपासना से सम्बन्धित उद्दे श्य सम्मिलित नहीं होते हैं । 'च्यवह्ार प्रक्रिया संहिता 1908 धारा 92 लोक पुण्यार्थ-पूर्व या घामिक प्रकृति के उद श्यो के लिए ननित किसी प्रभिच्युत या श्रान्विक लोक न्यास के कथित भंग की दहा में एडवोकेट जन रल अथवा दो या दो से श्रधिक व्यक्ति जिनका न्यास में हित हो, एडवोरेंट जनरह 1. फूलचन्द लक्ष्मीचन्द जैन व. हुकम चन्द गुलावचन्द जन ए. प्राई. प्रार. 1200 बम्ब, 43 এলি সদা




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