परीक्षा | Parikcha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| ৭২ |
नीलकण्ठ पित्ला : (मन्द स्वर में बड़ सन्तोष से ) तव तो पास दहो गया,
श्रीमन्.................. आपने ही रक्षा-की। (पैरों पर
गिरता है ।)
जनादन पिल्ला: उठो ! यह कैसी दुबलता है। पास हो” ऐसी
प्राथना करते हृए ही रने कापी खोजी थी ।
| नीलकण्ठ पिल्ला उठकर आप्र पोता है]
फिर भी बाँसठ कैसे ? मैंने किसी को भा प्रचपन से
अधिक अंक नहीं दिये हैं । कुछ समय तक इन्तजार
करो । मुञ्चे दुबारा गिनना चाहिए ^ `
नीलकंठ पिल्ला : इस वार उसने बहुत अधिक पढ़ा है ।
जनादन पिल्ला : श्...............बोलो मत...............
नीलकण्ठ पिल्ला : भगवान दयालु है न!
जनादनं पिल्ला : (ग्रिनना समाप्त करके) नहा, ईश्वर दयालु नहीं है
नीलकण्ठ पित्ला! इस बच्चे के केवल छब्बीस अंक
. हीहैं।
नीलकपण्ठ विल्ला : (दी निःश्वात लेकर) हाय! `
जनादन पित्ला : (फिर कापी पर देखकर अंक मिनता है) छ: और -
चार, दस और तीन, तेरह और पाँच, अठारह और
चार, बाईस और एक, तेईस और तीन, छब्बीस अंक
ही हैं। गलती से लिखने में बाँसठ हो गये । `
नीलकण्ठ पिल्ला : अब फेल हो गया ?
जनादन पिल्ला : ऐसा ही समझना चाहिए
नीलकण्ठ पिल्ला : (मन्द स्वर में) फेल हुआ / इस बार भी......... ?
जनादन पिल्ला : बैठिए
User Reviews
No Reviews | Add Yours...