भूदान यज्ञ वॉल - 5 | Bhoodan Yagya Vol-v

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Bhoodan Yajna Vol-v by डुंडा सिद्धराज

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ইনু লহ সই অজ পু चर्‌ प्रचार का भी হত यावे हो अर टिहरी হুল হি ५ ‡ द्‌ হল देदगदून आर चर्चा की) समी ने शस का मई आइबालन दिया। इस प्रझर कुम्म ঈতি ঈ सर्वोच्य- विचास्प्रचार की योडना देनी | योडना के अनुसार वहाँ एड स्वोद्व-उनय चम, दीन दित्य ये) प्क सनी रच्दि वय सप्र प्रदर्शन स्थल और एफ सदोदिय-मण्टपा को জনয की गयी। डैस में कार्वकटोओं और सर्दो- दयप्रेमी माई-दहनों के ठहरने व साने वी स्यवस्प्थौ ] एड वचनाद मपा, निनि অনীহা কলা সী মাসী की परिशएँ तथा दैनिक पत्रों की व्यवस्ष्य की गयी थी। कुम्म मेले में समी प्रन्तेप्से यात्री आते हैं और अधिकतर अपने साप्यई य धान्तीय कैसों में ढदरते हैं। इनमें উ कापी ध्यक्तियों ने इत बाचनालय का हम उठ्यापा। फैस छे सर्योदयविचार > बे मै छारी शानआरी याति को मि्ी। मारं प्रदर्शन ^ মাছ শী खादी-अःमोदोग ঘাম মী, অহনা दर्शनीय केन्द्र ने हुए ये। प्रान्तीए নয়া দাত ৯ म्यी भी सल नाणपग मला हरिद्वार में स्वादय-शाविर वाययकर्ा रुम्पेनन में ऐसा विदार आया या हि हरिद्वार में बो कुम्म मेटा हो रद है, उसमें सवोडिय्नदचार अपर आनदो- 1 इसी विचार रश्व ॐ दिच्वर का स्वागत किया और इस कार में रुहयोग তত যয सन्दर्भ में इमने सद्यरनपुर, में च इरिद्वार में अयरूत्रित क्रिया पाई জীন দাত ब्यवस्थासड और भी रामकियोर यादव তি ब्र० मूदान- हरिति ) खोंदयरूण्टप के ब्यवत्यापक थे। इन्होंने अअनी कायखता और ल्गन- इमल्टा छे ये दोनों मग्टप सत्र दर्शकों के हइय-रिन्दु बना रखे ये । शाटित्य आ आयोन रतन स्थलों! दारा किया गया था-एंक प्रद- হাঁনী ম। ছক্স হল লতা में तथ्य एक কমল में था । कुड मिय्य कर ११६९ रुू० ही दि हुईं। खाट्ित्वप्रचार के लिए. गाधो रूर निधि के कना श्रीदेव नेषानी व श्री इरिठिर देवद्य तपा अनक मारव सर्खेना-मग की भोरे रुगटा व टिहरी सवोंदय- के दो कार्यअर्ट थोमुन्दरशल य भी नरेन्द्र जम्ल्ये़ी ने पूरा रुदयेग करिय। अपने डिछे के खर्वोद्यन्‍्क्ार्यअ्ल आ एयं गाघी आभम के कार्यकर्ताओं ने इस कैसस की सरलता ঈ গু হাম বতালা। হন সন্সাহ বিনবাহন্যাং কী তি উ यह प्रयास कारी सपत रदा । इस कैस के आय और व्यय का विरएण निम्न प्रकार है +-- 9 आय इब्नब्रैन 4৯৭০৩ লক্ষন चन्दा प्त ৩২০ আনান বল দাম २२८१-९४... खाट्टित-बित्री का प्रास कमीशन ३२७ ७०... रगदीआमोय्रौग प्रइर्शनी অল ॥ ই डदिएया छोलदारी ३, काटा-न्नदिपेदापष्र ६४३-१३ टिद्य स्वोदिषिझण्टल, सदारनपुर # दयाय स्पय हुआ। २१७८-८८. बुछठ २१३८-८८ -ओमप्रवाध, मंत्री, डिय सर्रोत्य * दिल्ली में शांति-सेना प्रशित्षण-शिविर निके मरय, ठी এ নিন কী হাবিউলা সহিহাদহিকি ब्यपेित हुआ । शिविर का उद्गदन पं» मुंदरत्यछडी ने क्रिया | शिद्वेर में ३० डइनों ঈ মল নিলা) झिविर में শী ভীত ए्‌० मेनन, भीझान्त आउसे काझासाइत्र ऋछेलकर ने शाति-सैनिकों के ক্র पर प्रद्याय्य दायर | टा० तुल्मीदास जैन ने ग्रायमित्र चिक्िल्य মন और भरी सदे झुझार बजाज दारा स्काउट! के संबंध में आइश्यक डान कारी दी। नि „ शिडिर मेसर डिविया*हि में बंद कर निम्न पाँच विपयो पर « की-(१) दिल्ली में शानेसेना कैसे आगे দই (२) शा अनुशासन की आइश्यर्दा। (२ «. सैनिक और रुगप्याय 1 (४) ९०७५ » एकता का प्रभ और उसका निरत (५ ) अगब शिपर कब ओर कस भरी चोझतों ने भी को रवे दी पर चयौ हो ভাপ অন্দ্ন্জাহ হুল হার হত ০ की सुम्यति का समरोद समत्र हुआ। শি জং अध्ययन करने गोरखपुर में गांधी श्रौ अच्युत पटवर्धः ন্‌ <^ गावीजी के विचारो का विवेकपुर्वक की आवश्यकता स्वाध्याय संस्थान में - घन का भाषण गेरसपुर म ९ वितन्यर को साथी स्वाष्याय संस्पान के वर्शमान सब्र का झा ठेवा-अः अध्यक्षता में दिया । डाक्टर रामधर निभ ने अने झमारम्म के भाषण मैं क्या, ग्यर्धीडी की छादगी, बाह्य एवं आतरिक एडइरूसता का बडा কহে অভ ভন নহ पह्ता था। विदथा सनुदाय मो उनके उर्खुर युगे हे धम्पविव दए ग्ना अद्भूत नदो था 1 विद्राधि्योकेधततिदपू कष्टे को रूश करते दुए टाक्टर निभ ने उद्दादरण देकर समझाया कि बापू आजादी ५९६०-१२ आाद-दुकान,शामियाना आदे ॥| ल्डाई मैं छो रहने के बाबदद व्यय सन्नन्यै ४२९२१ शरर-लच ६१-१२ स्टेशनरी ११५-५०. कपदा-सरौइ, ४७-५० १०३-५६ द ५८-७३ टकर खच. मोजन सर्च बाचनालप , दोशनी-सर्च साष्ट वेटि মহা? বিল মা डेल मेद चशारनदुर्‌ विद्यापि फो एकाग्रता ओर ईम्यनदारी উ জচ্যেয करने पर इञ देते थे | লে का दिपय है कि आज दिदार्थी समाज से एश्ाम्ता का लेस द्ोठा जा रदा है । আনি गाधीवियारों की चर्चा करते हुए इठाया क्रि सत्य, अस्स ओर करप, येडनके रिचार के तीन झुस्य तच्च थे। बापू को जिस किमी रुत्य का शान दोटाड्य उसे जीवन मैं उठारने का प्रपास करे थे | आउने कदा दि आज हमने ছষেলী और करनी अन्तर ष्टे स्यादा ष्म सत्य, अति और करच्य के आदर्श से , - दूर इटे हैं। एव दिश्य मैं खामरीष्प स्थने হয कपती करनी के अन्तर को दूर करते की दिश्य मैं हमें তিল रइम उद्यना चाहिए 1 इस अइसर पर विश्येंग अतिथि के झूप मैं उपरितत खयशिद समाजशास्दी दर रूम्गजतेरी भी अच्जुत प्ट्वर्धन ने আলি আস শর কহা জি মিছ স হা, कुछ दिए और হি उमे दरहक्ये करतो गष वे अङग मषी ६1 भ्त मदादुर के पिर खजः विद्र भ्र मनये योग के सदस्य, डाक्टर হামঘহ নিম ঈ হযানীন पिप्रोषोरिकत छा मै गोरचषुर बिरदतदराटय के वाइस चायरर হানতে হও শী অহনা ई परिवर्तन का रण रख कर अमद हि जाठा है, दो विचार ब्दृता है। गई रुद्या इसी पर जोर देते थे । आउने कट्म हि हर देश की अर अह्य भूमिका होती है। ड्िदी ইতর नइल आस मूँड कर নর কী আ ধক मारत की भूमिका दरिशनों के उत्दन ई भावना ही हो सुझती है। छापू हरी जोर देते थे। आड मी यह भूरिसा एनो डिए उसी ग्रडार মহলা আব লা इयक बनी ६ । इसको नजरन्‍्दंज षत, गे । 1 ॥ आपने अन्त मैं कहा हि गोपीई, डे उिच्ारों का सही दंग से गिर पूर्वक अध्ययन करने टी आइश्यकट है। मैतिक दृष्टि से बढ़ने हुए अष्यपन हे मद्व प्र आग्ने अमोल आशि क| और आटा को চি পিন? ঈ मापः है स्यंधी-विचार का मरी अप्पपन सोेग्य । और रुमब उस হাহী ও এম» सर हो खड़ेगा। ५ सर्वप्रदम মালিশ দি আনা दोई के सट्रप भी कपल भाई ने दावे सार्ष-निधि ফ্লিন শ্রাসিী হয তত হী ওহ অহন সী ভাবিল সব জারা इटा हो बदवा। दम्बात्‌ रुत्यत है संचाटक भी रामाप शादी ने गई का ক্যা লিগ হিতে অন্ত আটে 26 ष्टा डि र्द इ दद्‌ मणिः मेगः यन्त (१३ है, उठम दाह स्यम, টিনা অং বিল 2 হী ঘহঘল হাই? मूदान-प5, हकदार १६ তাত *




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