गांवां रो साहित्य भाग - 1 | Gavaro Sahitya Bhag 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फास्मुनशकल संमुत्था भाद्रपद॒स्यसिते विनिर्देशयाः ।
तस्वैब कृष्ण पक्षोद्या वास्तु ये तेडश्वयुक शुक्ते ॥
फागण मास रे उजाल पास रो गर्भ भादवे अंधारे
पाख में और अंधारे पात् रे गर्भ रो जन्म भासोज रे
ভলান্ট पाख में बताणो जोईजे॥ ।
चैत्रप्तितं पक्ष जाता; क्ृष्णेडश्व युजस्य वारिंदा गर्भा ।
चैत्रासिंत संभूताः कातिक शुकक््लेंडसि वपन्ति ॥
चैत रे उज़ाछ पाल रो गभं आसोज *रे भ्रंघारे पाख
' में जछ देव ই জহি জনই আজি पष्ठ रे कठी रे अंधारे
पाष्न में वर्षा करें है--
पपे समार्मशीपे सन्ध्या रागोऽम्बदाः सपखिषाः
` न्यर्थं शगक्गीये शीतं पौपेऽति हिमपातः ॥
मिगसर और पी में संज्या री लाली लोयां चक्क-
रदार बादल होवे तो मिगसर् में धणी ठंड ओर पो में पात्ठो
पड़ने से मंर्मे पक्को को होवं/नो । | « এ
माघे प्रबली वांयुस्तुपारकुलुशघती रविशशा्े।
अतिशीतं सघनस्य च भानोर स्व्थोदयो धन््यों ॥
माहुर महीने में जदि जोररी हवा चाले, स्रंज-चाँद
*जवांरों साहित्य--भाग पहलड़ो /४५
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