षड्द्रव्य विचार | Shaddravya Vichar

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Shaddravya Vichar by मुनि बुद्धिसागर - Muni Buddhisagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१५) काले ए खंध विखराइ जात नहीं. सदा का- ल खंध भावेज रहेत. परतु तेमतों रहेता नथी, माटे व्यवहास्नये पुदूगलना पर- -माणुआ मछी खंध थाय छे, अने पाछा संध विरा पण नाय छे. निश्रयनये परमाणु आभो पोतपोताने सखभामे सदा शाश्वता 3, पण कोड़ काले बधशे घटशे नही, वान्या वशे नदीं. गाच्या गरो नही. एरीतेष ॐ द्र्य निश्चयनये पोतपोताने स्वभावे परिणामि जाणवां, व्यवहार नये ध्म; अपने; आकाश; अने काल হু चार्‌ द्रव्य मपरिणामी छे, अने जीव तया पुद्गल ए रव्य परिणामी छे, केमके व्यवहार नयने मते जीय समये समये अनता कर्मरुप वर्ग- गानांदङीयां दे 2, अने समये समये अनंतां




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