जैनाग़मों में परमात्मवाद | Jainagamon Mein Parmatmavad

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Book Image : जैनाग़मों में परमात्मवाद  - Jainagamon Mein Parmatmavad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१६१) 3 जमागमा मे परमात्मवाद यह पुस्तिका है । इस पुस्तिका में परमात्मसम्पधी प्रॉर्य सभी पाठा को सग्रहीत कर लिया गया है । जनायम। म परमात्मवाद' में सबप्रथम শাহলায पाठ ह फिर ठिप्पणा मे उसकी सस्कत च्छाया है। तदनन्तर उस पाठ की सरक्त-व्यास्या है । तत्पदचात उसका हिदा म भावाथ है । मूलपाठ दख वाल को इस में भूलपाठ मिलेगा। जा सस्कत भाषा के पिद्वान मू्‌तपाठ के गभार हाद व सस्कत भाषा मे जानने की रचि रखते है उवे लिए मूलषाट की सस्कत-व्याम्या का इसमें सयोजन किया गया है | जो हिंदां म उसे समझना चाहत हैं उन के लिए हिंदी भाषा में उन पाठो का श्रवुवाद कर दिया गया है। इस भरवार इस पुस्तिबा को प्रत्यंक दृष्टि से उपयोगी और लोवप्रिय बनाम का स्तुत्य प्रयास बिया गया है। इस का सभी श्रय हमार श्रद्धेय गुस्देव जन धम दिवाक्र आ्राचाय-्सम्राट पूज्य श्रो भात्माराम जो महाराज का हा है। दही क भ्रनवरत परिश्रम वा यह भुफल है शारीरिक स्वास्थ्य डीक ने रहत हुए भी झ्राचाम श्रा न-साहित्य-सवा म अपना यह योगदान दिया है इस के लिए साहित्यजग्त झाचाय थ्री का सदा के लिए ऋणी रहेगा। ईश्वर सम्बधी हिंदी साहित्य भ इस पुस्तक को अपनी धििष्टि उपयोगिता है ! जा व्यक्त्ति जाना चाहते टै किं जनाममा म परमात्मा के सम्बध मक्सा निरूपण किया गया है? भौर क्नि किन शादा म क्या गया है? उनवो इस पुस्तय म परयाप्त सामग्री मिलेगी । रौर जो लोग यह्‌ कृते चव रहे हैं कि जनदशन परमात्मा की सत्ता स इकार




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