अपना राजस्थान | Apna Rajasthan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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No Information available about प्रकाश नारायण नाटाणी - Prakash Narayan Natani
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)7
6. लाल व काली मिट्टो का मिश्रश--उदयपुर, इृगरपुर, भीलवाड़ा,
बाँसबाड़ा तथा चित्तौडगड़ जिलों में लात व काली मिट्टी का मिश्रण पाया जाता है।
हैं यह मिट्टी सभी फसलों के लिए उपगृक्त दोवीदै। ९
7. कछारी मिट्टी-प्रछवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, टोक
जयपुर तथा ग्ंगावगर जिलों के कुछ भागों में फछारी मिट्टी पाई.जाती हैं| यह मिट्टी
उपजाऊ होती है इस मिट्टी में स्थान स्थान पर लाल मिट्टी का मिश्रण भी मिलता है ।
(स) ज्लवायु-- =
राजस्थान की जलवायु शुप्क मस्स्यलीय है। यहां गर्ियों पें प्रत्यधिक गर्म
तथा सदियों में प्रघिक ठड पड़ती है । सर्दी में तापमान पनेक स्थानों पर शून्य तक
पहुँच जाता है । जबकि गमियों में स्थान स्थान पर तामत्रम 40% से 50 से ग्रे, या
इससे भी भ्रधिक होता है! गममियों में राज्य के भधिकांश भागों में धूल भरी भाषियाँ
घतठी है तथा सदियों मे कोहरा छाया रहता है।
राजह्थान की ऋतुए--राजस्थान में तीन ऋतुएँ होती है, जो क्रमशः
ग्रीष्म, वर्षा एवं शीत के माम से जानी जाती है ।
प्रीष्म ऋतु--राजस्थान में प्रीष्म ऋतु मार्च के महीने से प्रारम्भ होकर
जून तक रहती है। मई एवं जूत के महीनों मे सबसे ज्यादा गर्मी पडती है ! उत्तरी
पश्चिमी राजस्थान के भ्रधिकांश स्थानों का तापक्रम 45 से.ग्रे. तक पहुंच जाता है ।
प्रीष्म ऋतु में धूवभरी तेज प्रांधियाँ एवं नू चलती है। दिन में ०हुत श्रधिक गर्मी
पढ़ती है । तथा वायु में नमी का प्रश शून्य हो जाता है ) रात को बासू रेत ठण्ड
होने से तापक्रम गिर जाता है तथा 15%-16० है. ग्रे तक चला जाता है।
वर्षा ऋतु-- राजस्थान में वर्षा ऋतु जून के भन्तिम या शुलाई के प्रथम
सप्ताह में भारम्म होती है। राजस्थान में वर्षा को रोकने के लिए ऊंची एवं ह॒वाधों
के विरद्द दिशा में स्थित पहाड़ियों व वनों था भ्रभाव है। সর. श्ररव सागर की
हवाए' राजस्थान में वर्षा किये यर्गेर भागे बढ़ जाती हैं। जब बंगाल की खाडी का
मानसून असम, बंगाल, विहार, उत्तर प्रदेश प्रादि पूर्वी राज्यों, में वर्णा करती हुई
* राजस्थान तक पहुंचती है तो उनमें जल की मात्रा समाप्त हो घुकी होती है,
परिणामस्वरूप राजस्थान मे ये बटुत कम वर्षा क्रतो है। राजसवान के पश्चिमी
भागों से वर्षा बहुत कम तथा पूर्वी भागों में अ्रपेक्षाइत्त प्रधिक होती है। सिरोही
तथा भालावाड़ जिलों में भौसत 100 से मी. कोटा में ४8.5 से. मी , बासवाड़ा में
922 से. मी चित्तौड़गढ़ में 85 घैन्टीमीटर वर्षा होती है जबकि जैसलमेर मे
16.4 से.मी. बीकानेर में 26.4 से मो., बाइमेर में 26.8 से, मी, गंगानगर में
25.4 से. मौ. तथा जोधपुर मेँ 31.0 व जयपुर 54.82 सेन्टी मीटर वर्षा होती है।
: शीत ऋतु -राजस्यान मे सितम्बर में वर्षा समाप्त हो जाती हैं, तथा.
अक्टूबर नवग्बर से शरद ऋतु प्रारम्भ हो जाती है। वर्षा ऋतु की समात्ति तथा शीत
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