राजस्थान के अभिलेखों का सांस्कृतिक अध्ययन | Rajasthan Ke Abhilekhon Ka Sanskritik Adhyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विपय प्रवेश
वा प्रारम्भ 24 में तीर्थंकर महावीर वे निर्वाण वर्ष से भाना जाता है।
परन्तु शौ सौ सरना, एत्र भार गोयल प्रादि ने दस বম म
चीर मवत् के प्रयोग वो सम्भावना भस्दीइृत फी है । राजस्थान में इसवा
प्रयोग सर्द प्रथम राजपूत वालीन जैन क्पभिलेखो म टमा है) राजस्थान वं
अभिलेखो मे सर्वाधिक प्रयुक्त सवत् विक्रम सबत् है जिसवा भारम्म ईसा से
57 वर्ष पूर्व हुआ । कतिपय भमिलेखों मे 606 ई बे हर सबत् वा प्रयोग
है यया तासी प्रभिलेखरं, वामा भभिलेख झादि। बुट्ुबदेव के सेवाडी
प्रभिलेख5 म॑ सिंह यत् बा प्रयोग हुमा है । गोठ मगलोद वे दधिमती माता
मत्दिर के भभिलेख१ तथा धोड से प्राप्त अभिलेख में “गुप्त” सबत् का प्रयोग
है | परिचमी राजस्थान में माड क्षेत्रीय भभिलेखो मे 'भठिक” सबत् वा प्रयोग
हुप्ा है। बुछ भभिलेखो मे भटिय एवं विश्रम सवत् वा एवं साथ प्रयोग है ।
विस वे साथ-साथ वई ग्रभिलेखों म शव सवत् था उल्लेय हुप्ा है।
लेक्नि ऐसा कोई भभिलेय भ्रभी तक प्राप्त नहीं हुमा है जिनम स्व॒तन्त
रूप से केवल शक सबत् का ही प्रयोग हुआ हो |
विदेच्ययुगीन सांस्कृतिक इतिहास के छिए राजस्थान से प्राप्त अभिलेषों का
महत्व
राजस्थान वी भ्रभिलेखीय सामग्री का उपयोग प्रभो ठव प्रमुखतया
राजनीतिक इतिहास-लेखन म हुप्मा है । लेक्नि सास्कृतिक इतिहास की दृष्टि
से भी भ्रभिलिखीय सामग्रो वा बडा महत्व है ।
प्रन्य प्रदेशो के समान विवेच्ययुगीन राजस्थान म भी दो प्रकार वे
अभिलेख बहुसख्यक हैं--एक प्रतिष्ठा प्रभिलिष भौर दूसरे दानपत्र ।
प्रतिष्ठा-पभिलेख मन्दिर, मूति, बिहा र, फूप, वापो, नहर, भ्राराम भादि वे
निर्माण प्रयया धुनर्स स्कार के समय लिखवाये जाते थे | इनम प्राय उस समय
शासन कर रहे नरेश की प्रशस्ति भो रहती थी । दामपत्र या दान शासन
किसी ब्राह्मण, जैन या बौद्ध भिन्षु, विहार, गच्छ, मन्दिर, पदाधिकारी या
करिसौ भ्रन्य सस्या प्रथवा व्यक्ति को भूमि दान के श्रवसर पर लिखवाय
जाते थे 1
1 सरकार, डी सी , सइ, पृ 90, टिप्पणी 3
एस पी गुप्ता तथा के एस रामचन्द्रन द्वारा सम्पादित 'द श्रोरिजिन
आफ ब्राह्मी स्क्रिप्ट! म डा गोयल कया लेख, पू 39-40
इ श्राई, 36, पु 49
वही, पृ 52
वही, 11, पू 34
यही, 11, प 393
वही, 12, पू 12
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नये 6४ ० + ९२
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