अहिल्याबाई | Ahillyabai

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Ahillyabai by वीरेंद्र तंवर - Veeredra Tanvar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अहिल्याबाई का व्यक्तित्व भव्य था। रंग था सांवला, डील-डौल सामान्य, मध्यम कद, गोल मूँह, चौडा ललाट और बड़ी-बड़ी आँखें थीं। मुख मंडल पर तेज था। ऐसी अहिल्याबाई बहू बनकर होलकर परिवार मे आई । ससुराल का परिवार भी काफी बड़ा था। ससुराल में अहिल्याबाई ने अपनी मधुरवाणी, कशल व्यवहार और सेवा भावना से सबका दिल जीत लिया। वे सबकी प्यारी बहू बन गई। ससुर मल्हारराव तो बहुत ही खुश घर में आते ही परिवार का वैभव बढ़ने लगा था। राज्य चर सीमा फैलने लगी थी। अहिल्याबाई सास-ससर को माता-पिता के समान समझती थी। दिन-रात उनकी सेवा करती। वे प्रात: जल्दी उठतीं। नहा धोकर पूजा पाठ करतीं। दित भर घर का काम करतीं। परिवार के हर सदस्य को वे खश रखतीं। अहिल्याबाई की सास गोतमाबाई बेहद समझदार कर्त्तव्यपरायण, धर्मनिष्ठ और मेहनती थीं। वे घर के काम में अहिल्याबाई की मदद करतीं। मल्हारराव को यद्धों के कारण




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