देखें , करें और सीखें कक्षा 3 | Dekhen Karen Aur Sikhen Kaksha-3

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दलजीत गुप्ता - Daljeet Gupta

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मंजू जैन - Manju Jain

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स्वर्णा गुप्ता - Swarna Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6 देखें, करें और सीखें आँख : दादा, म बताऊ ? दादा : हॉ-हाँ, तुम ही शुरू करो। आँख : दादा मैं बहुत काम की चीज़ हूँ। मनुष्य मेरी सहायता से हर चीज़ को देखकर पहचानता है। सुंदर चीज़ों को देखकर खुश होता है। इतना ही नहीं, दुखी होने पर आँसू भी बहाता है। इससे उसका दुख कम हो जाता है। जानते हो, मैं तो बोल भी सकती हूँ। दादा ने पूछा : वह कैसे ? दिए गए मेरे ये तीन रूपों को देखो और अपने आप समञ्चो | अरे, इशारे से तो में कितनी ही बातें कह देती हूँ | मैं जब अपनी पलकें बंद कर लेती हूँ तो मनुष्य आराम महसूस करता है। आँख की बातें सुनकर नाक को जोश आया। वह बोल पड़ी : हॉ-हाँ, मैं जानती हूँ तुम बहुत काम की चीज़ हो। पर बहन, मैं भी, जो तुम्हारी पड़ोसन हूँ, तुम ২ তীন্িতী বাল লী কল লশ্তী हूँ। „~ दादा : वह कैसे? नाक: दादा, मै तो वहत न्नी जरूरी ह मेरे द्वारा ही वा मनुष्य साँस लेता है। बिना साँस लिए तो 7५. वह जीवित ही नहीं रह सकता ।




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