मार्को पोलो | Marco Polo
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
594.35 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पोलो चोन कंसे गए श्३
योरूप से दूर पूर्व तक की यात्रा करना सुरक्षित हो गया था । श्रनेक देशों के
व्यापारियों ने इन रास्तों का उपयोग श्रारम्भ कर दिया । यह एक विल्कुल हो
नयी बात थी । रोमन साम्प्राज्यकाल में योरूप श्रौर एशिया में सिल्कमार्ग श्रौर
समुद्र, दोनों ही से नियमित रूप से श्रावागमन था, किन्तु सातवीं शती में
मुहम्मद की विजयों ने दोनों महाद्वीपों को भ्रलग कर दिया था । उस समय के
बाद श्रव जब मंगोलों ने साढ़े-पांच शताब्दियों के वाद उन मार्गों को फिर से खोला
तो. तब तक योरूप, चीन की महान सभ्यता के विपय में जो कुछ जानता था
वह सब भूल चुका था । श्रव खाकानों का चोन के सम्राट के रूप में पीकिंग में
रहते हुए पोलो का फिर वहां जाना सम्भव था ।
खाकान किसी भी जाति के व्यापारियों को देखकर प्रसन्न होता था, किन्तु
योरूप के ईसाइयों को देखकर वह विशेष प्रसन्न होता । सबसे पहले तो वह यह
जानता था कि ईसाई मुसलमानों के दुब्मन हैं श्रौर सदियों से उनके विरुद्ध धर्म-
युद्ध कर रहे हैं । क्योंकि मंगोल लोगों ने मिस्र में स्थापित इस्लामी दाक्ति
का झ्राधा ही विनाश किया था, इसलिए ईसाई योरूप से मंत्री सम्बन्ध की नीति
श्रच्छी थी । दूसरे, मंगोल लोग जब विजयों के लिए निकले थे तो उनका धर्म
श्रादिम रीति का-सा था । खाकान ने सोचा कि सम्भवत: ईसाई धर्म उनके उपयुक्त
हो ।
श्रव यह समझा जा सकता है कि पोलो लोगों का सुरक्षित चीन तक यात्रा करना
कंसे संभव श्रौर कैसे उन्होंने वहां स्वागत पाया, श्रौर योरूप निवासियों के
लिए वह कसी नयी श्रौर विचित्र यात्रा थी । वेनिस के निवासी होने के कारण उन्हें
श्रौर भी श्रासानी हुई । वेनिस इटली का कोई साधारण नगर नहीं था, बल्कि एक
प्रजातन्त्र की राजधानी भी था । इटली का उत्तरी भाग उन दिनों जिन प्रजातन्त्रों
में विभाजित था, उनमें वह सबसे धनी थ्रा । उसके श्रधिकार क्षेत्र में लोम्वार्ड का
मैदान, एड्रियाटिक सागर का डाल्मेशियन तट श्रौर बहुत से यूनानी द्वीप सम्मिलित
थे । कुस्तुन्तुनिया पर उसका बड़ा प्रभाव था श्रौर एदिया माइनर श्रौर कृप्णसागर
के तट पर उसके कार्ये-संस्थान थे । वास्तव में, वेनिस का शहर उन पूर्वी तिजारती
चीज़ों की मंडी था जिन्हें इस्लामी रियासतें श्रपने व्यापारियों को विभिन्न निकट-
पूर्वी व्यापारिक बन्दरगाहों पर बेचा करती थीं । वेनिस के व्यापारी इसीलिए
पूर्व के लोगों के व्यवहार से परिचित थे श्रौर निकट-पूर्व की भाषाएं जानते
थे। जब मंगोलों ने चीन के लिए मार्ग तैयार किए तो वेनिस निवासी उन मागों
से होकर दूर पूर्व की यात्रा करने में, श्रौरों से श्रधिक समर्थ थे । इससे यह
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