इंगलैण्ड का राजदर्शन | Egland Ka Rajdarshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विलियम एल. डेविडसन - William L. Davidson
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपयोगिताबादी अवस्थान ११
मनुष्य किस उद्देश्य के लिए क्रियाशील है ? साधारणतया उपयोगिता-
वाद की दृष्टि से मानव उद्देश्य आनन्द (17991717८58) प्राप्त करना है।
किन्तु यह आनन्द (५010688) व्यक्ति मानव का अकेला आनन्द
नहीं है । मनुष्य का अपना शिव (5०००) दूसरों के सहयोग ओर
सम्पर्क द्वारा ही उपलब्ध हो पाता है ओर इस प्रक्रिया से वह स्वयं
ओर उसके सहकारी बन्धु समान रूप से जीवन की तुष्टि ओर निश्चिन्तता
(59058800102 20 (०९१६०१९५) के लिए उत्सुक होते“ हं ।
वस्तुतः बेन्थम (56211212) ने इस मत का विशेष सरूप से प्रतिपादन
किया है । इस तुष्टिपूण निश्चिन्त जीवन (88015560, ८02167६९४०ं
111०) के अन्तिम विइछेषण से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि
निरिचन्त ओर तष्टिपूणं जीवन का अथं ह सम्पन्न जीवन। अस्तु,
उपयोगितावादी चष्टिसे सुख (1525016) ही व्यक्ति मानव का
उसकी इच्छाओं और उद्देश्यों का अन्तिम लक्ष्य है ।
उपयुक्त संदर्भ का विस्तारपु्वंक अर्थ क्या है उस पर हम अन्यत्र
विचार करये । यहाँ पर केवछ इतना ही तथ्य जान लेना पयाप्त होगा।
फिर यदि मनुष्य अपनी वेयक्तिक आनन्द जीवन की परिस्थितियों
मर पयांवरणो द्वारा ही प्राक्च कर सकता है अथवा न्यदि वह निरपेक्ष
व्यक्ति के स्तर पर बिना दूसरों के सहयोग के डस आनन्द को नहीं प्राप्त
कर सकता तो निरचय ही उसे राज्य संगठन पर आश्रित होना पड़ेगा।
एक बार ऐसा मान लेने पर भी आनन्द की इच्छा और उद्देश्य सावभोम
झूप में सभी में समाव है । यह भी मानना पड़ेगा कि उसकी उपलब्धि
सामुद्यविक ((०:777०7109) क्षेत्र में रीति, नीति, विधि-विधान
((०४६07; 18४ 9१ 1९99४००) द्वारा जनुशासित, प्रोत्साहित
ओर सोमित भी होता रहता है। ॥
इसलिए उपयोणितावादी (एधा) किकी मी रूप में'**
अपनी आनन्दं की इच्छा का राजनैतिक पूवं राजकीय सक्रियता से प्रथक्
नहीं कर पाता । इस प्रकार की सक्रियता कत्तव्यनिष्ठता के दायित्व
को विकसित तो करती ही है साथ ही वह एक स्पष्ट प्रेरणा उन कर्तव्यो
User Reviews
No Reviews | Add Yours...