बुनाई विज्ञान | Bunai Vigyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
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मे चार बाबिन चरा जार्ये। यदि मान जिया जाय कि उष्ट्रः
२० कतारे' हैं तो मालूम हुआ कि उस टहे मे ( २० »८४ ) यानी
८० बाबिन लगेगी अर्थात् ताने की दी हुई लम्बाई के बराबर एक
चक्कर करने में ८० तार ताने में हो सकते हैं ।
ताने के अन्दर टट्ट का प्रयोग करने से मुख्य अभिप्राय यह है कि
समय की बचत होती है ओर कम परिश्रम से ताने के तार पूरे हो जाते
हैँ | उदाहरण के लिये मान लिया जाय कि एक ताना ३२०० तारो से
पूरा होता है तो हम क्रील की सहायता से ३२०० तारों का লালা
उन्हीं ८० बाबिनों से केवल ४० चक्कर में पूरा कर सकते हैं। बिना
इसके प्रयोग किये यदि हम एक बाबिन से ताना करे तो
३२०० चक्कर करने पड़ेगे ओर यदि दो बाबिन से ताना करेगे तो
१६०० चक्कर करने पड़ेगे | इसलिये ज्ञात हुआ कि टट्ट का प्रयोग
करना आवश्यक है ओर यह भी ज्ञात हुआ कि जितनी बाबिने ताना
करने के लिये श्रधिक लगाई जायंगी उतने ही चच्कर कम करने
पड़गे और ताना बनाने में परिश्रम भी कम पड़ेगा।
हिक या बिनियाँ
चतुभुज []के आकार में बनी होती है जिसमें लोहे या लकड़ी के
तार ( तीलियाँ ) लगे होते हैं। प्रत्येक मे चौथाई इ च का फासिला
होता है | हर एक तीली के बीच मे सूराख होते हैं जिनमें होकर ताने .
के तार पिरोये जाते हैं |
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