धर्म का स्वरुप आधुनिक अमेरिका में | Dharm Kaa Swaroop Aadhunik Amerikaa Mein

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : धर्म का स्वरुप आधुनिक अमेरिका में  - Dharm Kaa Swaroop Aadhunik Amerikaa Mein

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हर्बर्ट ई. इन्ग्हम - Herbert E. Ingham

Add Infomation About. Herbert E. Ingham

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
११ क्रान्तिकारी युग में धमं £ = ( आदि होते हैं। चर्च ने संस्था' का रूप ले लिया है और इसका बजट पहले से बहुत अधिक बढ़ गया है । पहले से अधिक सदस्य, जिनमें से हरेक के पास कम भार है, पहले के से ज्यादा कृुशछ सेवा (स्विस) के लिए खर्च करते हैं । हालाँकि वेतन पाने वाले कार्यकर्त्ता समाज के काम में: भाग लेने के लिए सदस्यों को लगातार प्रोत्साहित करते हैं, उनका सह- योग ज्यादा और ज्यादा आथिक ही होता जाता 'है। सामूहिक प्रार्थना में उनका भाग लेना भी अधिक निष्क्रिय हो जाता है। कुछ समय बाद तो लोग गिर्जाघर की प्रार्थना में भाग लेने इसी ढंग से आते हैं मानो वे संगीत- गोष्ठी या नाटक में आ रहे हों। प्रार्थना अब छोक-कला के सामूहिक प्रका- रन के बजाय एक व्यावसायिक क्रिया हो गयी है। मिनिस्टर या पुरोहित पर पहले से ज्यादा ज़िम्मेवारी रहती है । उससे व्यावसायिक क्रिया- कलाप के स्तर की तथा नेतृत्व के क्षेत्र में अधिक कुशलता और कार्य की आशा की जाती है। साहित्य, नाटक, संगीत, स्थापत्य तथा अन्य कलाओं में आलोचनात्मक निर्णय के विस्तार के साथ चर्चे को भी बाकी कलाओं के साथ सौन्दर्यात्मक मुकाबले में उतरने के लिए बाधित होना पड़ा है। अब बेढंगी, भद्दी स्वाभाविक प्रार्थनाएँ स्वीकार नहीं की जातीं। इस प्रकार धर्मनिरपेक्ष कलाओं ने धामिक नेतृत्व पर मी सुरुचि के सस्त मान- दंड लागू कर दिये हैं । धनी संगठनों तथा उनके पादरी-नेताओं द्वारा कायम किये गये स्तरों का प्रभाव निम्न-मध्यम वर्ग पर भी पड़ता है। उनके चर्चों का स्तर मी ऊपर से कायम होता है। मुकाबले के दबाव का अनुभव उन्हें भी होता! है | क्योंकि, यद्यपि सामान्य व्यक्ति की रुचि आलोचनात्मक नहीं होती,. फिर भी, साधारण नागरिक देखता ही है कि आधुनिक आविष्कारों से कदलता बढ़ जाती है झ्ौर यदि वह आधुनिक नेतृत्व की नकल या अनु मोदन नहीं करता नो विना नये मानदंडों को समझे ही वहु अनुभव करने लगता है कि वह खुद पिछड़ गया है या स्तर से नीचे है। मानदंड: का स्तर ज्यों-ज्यों ऊँचा होता जाता है त्यों-त्यों शक्तियों और पंजियोः




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now