हमीरपुर तहसील का समन्वित क्षेत्रीय विकास - एक प्रतीक अध्ययन | Hamirpur Tahisil Ka Samanwait Chatraya Vikas Ek Pritik Adahayan

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Hamirpur Tahisil Ka Samanwait Chatraya Vikas Ek Pritik Adahayan by सितारा बानो शेख - Sitara Bano Shekh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चित्र संख्या 1.1 से यह स्पष्ट होता है कि सभी उपतन्त्रौ का आधार सूचना संग्रहण जिसका उद्‌ देश्य अध्ययन क्षेत्र के वर्तमान लक्ष्यौ की पहचान करना तथा भविष्य के विकास के लिए प्रक्षेप तैयार करना है । इसके अन्तर्गत सर्वेक्षण, विश्लेषण ओर भविष्यवाणी सम्मिलित होती है । यह दोमुही प्रक्रिया होती है, जो वर्तमान क्षेत्रीय आवश्यकताओं ओर क्षमताओं की तस्वीर प्रस्तुत करती हे तथा दूसरी ओर भविष्य मेँ आने वाली कठिनाइयोँ को व्यक्त करती है | इस अवस्था मेँ क्षेत्रीय आंकड़ा-आधार की पर्याप्तता ओर विश्वसनीयता अत्यधिक महत्वपूर्ण होती हे । वास्तविकताओं का ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात लक्ष्य निर्माण होता हे, जो लोगों की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं को व्यक्त करता हे । लक्ष्य निर्माण के लिए जनसहभागिता का बहुत महत्व हे | यह उपतन्त्र सम्पूर्ण नियोजन तन्त्र के लिए ढांचा प्रस्तुत करता है | एक बार लक्ष्य सुनिश्चित हो জাল कं पश्चात अनेक निर्णय एवं उप निर्णय लेने होते हैँ | यदि ये लक्ष्य एवं उद्‌देश्य स्पष्ट नहीं होते तो नियोजन प्रक्रिया स्वैच्छिक एवं उद देश्यहीन हो जाती है | इस प्रक्रिया मे अगला उपतन्त्र नियोजन निर्माण है, जो व्यापक रूप से समन्वयन ओर नीतियों के समन्वयन मे महत्वपूर्णं यन्त्र का काम करता हे (° लक्ष्यो ओर उददेश्यो को प्राप्त करने के लिए क्रियान्वयन पथ विभिन्‍न विद्वानों द्वारा दिए गए संकल्पनात्मक आधारो पर आधारित होता हे | नीति निर्माण के बाद चतुर्थं उपतन्त्र मूल्यांकन एवं निर्णय है । चूकि अनेक वैकल्पिक सुञ्ाव होते हैँ. इसलिए उत्तम हल प्राप्त करने कं लिए एक विशिष्ट उपतन्त्र की आवश्यकता होती हे । इसकी सहायता से वांछित रणनीति प्राप्त करने की अन्तर्दृष्टि प्राप्त होती है । विकल्पों का मूल्यांकन लोगौ की आवश्यकताओं एवं आकाक्षाओं को सन्तुष्ट करने की दक्षता पर निर्भर करता है| निःसंदेह समाज के परिवर्तनशील व्यवहार से उत्पन्न जटिलताओं को क्रियान्वित करना एक अत्यन्त कठिन कार्य है। अन्तिम महत्वपूर्ण उपतन्त्र क्रियान्वयन का है। यह नीतियों को प्रभावशाली ढंग से क्रियाच्वित करने का एक तरीका है | यह नियोजन का एक स्थायी लक्ष्य है तथा इसमें सतत्‌ गम्भीर निरीक्षण की आवश्यकता होती है । यह मानव एवं पर्यावरण के बीच सम्बन्धो को संयत करता है तथा पर्यावरण में यथासम्भव परिवर्तन करता हे | उपरोक्त पांच उप नियोजन तन्त्र अन्तःसम्बन्धित हैँ | ये अन्तःसम्बन्ध सूचना तन्त्र के विविध मार्गों के कारण होता है तथा अन्तःनिवेश एवं उत्पादो के कारण होता है ॥ जैसा कि चित्र संख्या- 1.1 में प्रदर्शित किया गया है। पाँचों उपतन्त्र &, 8, 2८, 0, 5 पेटियों द्वारा प्रदर्शित किए गए हैं। यह जानने के लिए कि यह तन्त्र कैसे काम करता है । हमें निर्णय से प्रारम्भ करना होगा तथा ऐसी समस्या जो मार्ग एक का उपयोग करती हो, को लेना होगा तथा इसके उददेश्यों को ^ तक ले जाना होगा। & का विशिष्ट लक्षण 8, 2 और 9 को 2, 3 ओर 8 मार्गो से सूचना प्रदान करता हे । इसकी विषय वस्तु में 8, ओर ? के प्रभाव ओर निवेदन पर प्रभावित हो सकते हैं




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