आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन खण्ड-2 (भाषा और साहित्य) | Aagam Aur Tripitik Ek Anushilan Khand 2 (bhasha Aur Sahitya)

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Aagam Aur Tripitik Ek Anushilan Khand 2 (bhasha Aur Sahitya) by मुनिश्री नगराज जी - Munishri Nagaraj Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयानुक्म कलेवर : स्वरूप कुछ महत्वपूर्णं उत्ते भोहनिज्जुचि (ओोध-नियुफ्ति ) লাল হ আছ एक महरवपूर्ण प्रसंग उपधि-निरूपण ज़िनवल्पी 4 स्थविर बल्पी के उपकरण साध्वी वा पापिकाके उपकरण ब्याख्या-्साहित्य परविख़य सुत्त ; पाक्षिफ-सुत्र ) खामणा सुत्त ( ज्ञामणा-सुत्र ) वंदिष, चुप हुसिमारसिय ( चपि भासित) नन्दी ततथा भनुयोगद्रार मन्दी-सूत्र : रचयिता स्वरूप - विषय-बल्तु प्रनुदोग द्वार शप्त स्वर महत्वपूर्ण गृषताएं प्रभाण-चर्चा दसपङ्ण्णग (दरा प्रकीर्णक) प्रशमो बौ पण्यप प्राप प्ररोर्णर ३. चठसरश ( च॒तु- शरश ) २. आउर-पच्चछलाण (লালুহ प्रत्याख्यान) साप: पादय; स्विदि ॐ, मद्धापर्यद्लाण ( सहाप्रत्यास्यन ) जाम ४ पंमिदद १, 98. मच-परिशाय ( अद -दरिहा )




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