जंगलपुरी का हैडमास्टर | Junglepuri Ka Headmaster
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)যালধিক ] [ १३
रघुनाथजी जाने के बाद हैडमास्टर कायले उडाता रहा।
॒ भाये, वल श्राये । देर से आये दुष्स््त झाये | पर नहीं।
में तरफ से झ्ावाज झाने लगी, हैडमास्टर, ६४-६५ का बरस
५ ६५-६६ वा गया झौर ६६-६७ का भी तेरे देखते-देखते जा
'है। हैडमास्टर ने लेटर पर लेटर लिखे भ्राविर एक भदेश
श्राया । कृष्य पान्ति हृं । दम भवद्वदर १६६६ शा भादेश
1 श्री उमराद्भिह् जी प थेरी बडी से २८ अबटूबर को रिलोव
गये । उमराद जो की जगह रामस्वरूप जी हर्मा प्राचेरी बड़ी
ब गये ।इसलिए उमराव जी को पाचेरी बड़ी रो बाय मुक्त होता
11 उघर जगतपुरी में खुशी थी सहर दोद़ गई कि प्रचरी
1 से उमराव जी आ रहे हैं। वातारण में शांति आई।
माह्टर बारे उ्ञने खगा। छात्र लोग हैइमास्टर से राजी
कि हैडम रटर ने शोशिश को घोर दात्रों कोबात सुनी ।
¶ नवम्बर भो हैषमारटर ने शक खोली । उमरावजी ने लिखा
जुकाम बिगड़ कर बुखार बन गया $ उमरादजों ने निवेदन किया
पाँच मवम्दर तक को छुट्टी देने की हृपा करें | जगलपुरी ने
मास्टर भो बहुत गुस्सा झाया धौर सोचा कि इन्हे छुट्टी गहों
मा । बिता बेनन भी छुट्टी हो जावेगी घोर छठी बा दूध पाद
जायेगा । ये मास्टर लोग हितने भनुए्ासनहोन हो गये है ।
तोका. कश्य षा बृ नहो मोषे + वर, भवे पौव
प्वर । पं उन्हें छुट्टी नहों दूंगा । हैड्मास्टर ने घमड़ से छात्रों
सामे कहा । छात्र कुछ छात हुये कि हैश्मास्टर मे छात्रों के
ये हमदर्शी है ।
कोई बात नहो हैडम-स्टर जी, फिर देप खंते हैं दिखते
उठ रियोमाटर छेरे कहने से घाने हैं । सावधो द्ोड़ कर आते है।
सीन पोरियद पड़ाइर छो हु देठा है। हमारा सारा दिये राराद
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