जंगलपुरी का हैडमास्टर | Junglepuri Ka Headmaster

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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যালধিক ] [ १३ रघुनाथजी जाने के बाद हैडमास्टर कायले उडाता रहा। ॒ भाये, वल श्राये । देर से आये दुष्स्‍्त झाये | पर नहीं। में तरफ से झ्ावाज झाने लगी, हैडमास्टर, ६४-६५ का बरस ५ ६५-६६ वा गया झौर ६६-६७ का भी तेरे देखते-देखते जा 'है। हैडमास्टर ने लेटर पर लेटर लिखे भ्राविर एक भदेश श्राया । कृष्य पान्ति हृं । दम भवद्वदर १६६६ शा भादेश 1 श्री उमराद्भिह् जी प थेरी बडी से २८ अबटूबर को रिलोव गये । उमराद जो की जगह रामस्वरूप जी हर्मा प्राचेरी बड़ी ब गये ।इसलिए उमराव जी को पाचेरी बड़ी रो बाय मुक्त होता 11 उघर जगतपुरी में खुशी थी सहर दोद़ गई कि प्रचरी 1 से उमराव जी आ रहे हैं। वातारण में शांति आई। माह्टर बारे उ्ञने खगा। छात्र लोग हैइमास्टर से राजी कि हैडम रटर ने शोशिश को घोर दात्रों कोबात सुनी । ¶ नवम्बर भो हैषमारटर ने शक खोली । उमरावजी ने लिखा जुकाम बिगड़ कर बुखार बन गया $ उमरादजों ने निवेदन किया पाँच मवम्दर तक को छुट्टी देने की हृपा करें | जगलपुरी ने मास्टर भो बहुत गुस्सा झाया धौर सोचा कि इन्हे छुट्टी गहों मा । बिता बेनन भी छुट्टी हो जावेगी घोर छठी बा दूध पाद जायेगा । ये मास्टर लोग हितने भनुए्ासनहोन हो गये है । तोका. कश्य षा बृ नहो मोषे + वर, भवे पौव प्वर । पं उन्हें छुट्टी नहों दूंगा । हैड्मास्टर ने घमड़ से छात्रों सामे कहा । छात्र कुछ छात हुये कि हैश्मास्टर मे छात्रों के ये हमदर्शी है । कोई बात नहो हैडम-स्टर जी, फिर देप खंते हैं दिखते उठ रियोमाटर छेरे कहने से घाने हैं । सावधो द्ोड़ कर आते है। सीन पोरियद पड़ाइर छो हु देठा है। हमारा सारा दिये राराद




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