हम जीत गए | Hum Jeet Gaye

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Hum Jeet Gaye by सुरेखा श्री - Surekha Sri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दायी | मेरी वेदौ दाघो 11 नीचे उतर जा बेटा ! मैं तुझे न जाने दूया। मेरे पुत्र की ;४०चलौती संतान, उसकी घरोहर, में तुके किमी हालत में न जाने धूगा। चै र जा बेटा नीचे 1 সা হাজী भपने मौसेरे च्रात्ता मोदनराज करारिया के प्रावास गृद्द भोजन हेतु भामस्तित थी। भोजन के पश्चात्‌ भाई ने प्रपनी बहन का बंदौला घढ़ाया। भागे बैंड बाजों की ध्वति के साथ पलसंकारों से सुसण्जित घोड़ी पर सुशोभित हो रही थी दासो। राजस्थान प्रान्त के पीपाड़ शहर के बाजारों में धूमता हुप्रा यंदोता ठोक शहर योन সা पहुँचा। झुलयघुएं मंगलगान गा रही थीं । दासी का रूप, उसका नूर, सावष्य सब झुछ देखते ही बनता था । डिसने भी दासी को इस रूप में देखा, दंग रह गया ।




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