बाल गंगाधर तिलक गोपाल कृष्ण गोखले के राजनीतिक एवं सामाजिक विचारों का तुलनात्मक अध्ययन | Baal Gangadhar Tilak Aur Gopal Krishn Gokhale Ke Rajanitik Evm Samajik Vicharon Ka Tulanatmak Adhyayan

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Baal Gangadhar Tilak Aur Gopal Krishn Gokhale Ke Rajanitik Evm Samajik Vicharon Ka Tulanatmak Adhyayan  by रजनी त्रिवेदी -Rajani Trivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_1]12-_ कारागार है जहां स्त्री असहाय अवस्था मे अस्वस्थ जीवन व्यतीत करती है। फलस्वरूप उसकी स्वाभाविक इच्छाजो एव क्षमताओ का अज्ञानता के कारण दमन हौ जात है। अंधविश्वासो मे जलती हुई वह समाज के इस प्रथा के समक्ष शहीद हो जाती है ।। फर्कुहर ने लिखा है कि- “उन प्रान्तो के उच्चवर्गीय हिन्दुओ ने जहाँ पर मुसलमान बहुसख्यक एव शक्तिशाली थे * जनाना व्यवस्था को अपना लिया।1* उत्नीसवी शताब्दी मे वेश्यावृत्ति नारी समाज पर किए जाने वाले इन्हौ अत्याचासो का परिणाम थी । अमानवीय व्यवहार से पीडित महिलाए्‌ वेश्यावृत्ति मे सलग्न हो जाती थी। हिन्दू समाज मे मध्ययुग तथा उसके पूर्वं भी वेश्यओ का वर्णन मिलता है। ऋग्वेद काल मे भी ऐसी स्त्रियों थी जो सभी की थी उन्हें वेश्या या गणिका कहा जाता था। ऋग्वेद मे एक जगह कहा गया है कि मरूतगण विद्युत के साथ उसी प्रकार सयुक्त माने गए है जिस प्रकार युवती वेश्या से पुरुष लोग सयुक्त होते हे । मध्ययुग मे भी वेश्यावृत्ति का प्रचलन था। मुगलकाल मे वेश्याओ कौ सख्या तथा उनको मांग इतनी अधिक बढ गयी थी कि सम्राट अकबर को उनके लिए शहर से दूर तक एक पृथक्त नगर बसाने पर विवश होना पडा था। इस नगर का नाम उसने शैतानपुर रखवाया था ॥* उन्रीसवी शताब्दी मे एक ओर प्रमुख बुराई थी, स्त्रियो को शिक्षा से वंचित रखना । शिक्षा के अभाव मे नारी अपने अधिकार एवम्‌ स्वतन्त्रता तथा समाज के प्रति अपने दायित्वों से अनभिञ् मानव भावनाओं कौ शिकार थी। यह बहुत ही आर्श्चय को बात है कि जिस भारतीय समाज में वैदिक 1 पी० सी० राय, लाइफ एण्ड टाइम्स ऑफ सी० आर० दास (1927) पृ० 4 9, फर्कुहर, माडर्न रिलिजियस मूवमेण्ट इन इडिया, पृ 405 3 पी० व्री° काणे धर्मशास्त्र का इतिहास, अनु्रादक अर्जुन चावरे काश्यप, हिन्दी समिति, सचना विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ, पृ० 253 4 उपन्द्र नाथ ठाकुर ए हिस्ट्री ऑफ सोसाइड इन इडया, प° 129




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