जैन कथा साहित्य में प्रतिबिम्बित धार्मिक जीवन | Jain Katha Sahitya Men Pratibimbit Dharmik Jiivan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Jain Katha Sahitya Men Pratibimbit Dharmik Jiivan by विजयाप्रभा त्रिपाठी - Vijaya Prabha Tripathi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विजयाप्रभा त्रिपाठी - Vijaya Prabha Tripathi

Add Infomation AboutVijaya Prabha Tripathi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
था युवतियों की भी यही दशा होती थी। गुप्त रूप से प्रेम पत्रों का प्रकरण प्रारम्भ होता था। तत्पश्चात प्रेमी और प्रेमिका का विवाह सम्पन्न हो जाता था। स्वयंवर का भी आयोजन होता था। वसुदेव हिण्डी का पात्र धम्मिल कुमार प्रेम क्रीड़ा में कुशलता प्राप्त करने के लिये वसंत सेना नाम की गणिका के घर पर ही समय व्यतीत करने लगा था। कुवलयमाला में भी प्रेम ओर श्रृंगार रस पूर्ण बहुत से चित्र प्रस्तुत किये गये हैं। वासभवन में प्रवेश करते समय कुवलयमाला और सहेलियों में प्रश्नोत्तर का क्रम चलता है। कथाकोष प्रकरण में भी प्रेमालाप के प्रसंगों का उल्लेख प्राप्त होता है। प्राकृत कथा संग्रह में भी सुर सुंदरी का आख्यान एक प्रेमाख्यान है। कथा-साहित्य में 11वीं-12वीं शताब्दी ईसवी में ताब्रिकोँ' का जोर प्रदर्शित होता है। कापालिक और वाममार्गी श्री पर्वत से जालंधर तक भ्रमण करते थे। कुबवलयमाला में सिद्ध पुरूषों का वर्णन है। धातुवादी, क्रियावादी तान्रिक विद्या का सहारा लेकर विविध प्रकार की तान्रिक करतूतों का प्रदर्शन करते थे। सुर सुन्दरी चरिउ में भूत भगाने और रक्षा पोटली बांधने का वर्णन है। कथा-साहित्य की भाषा जन कथा-साहित्य का सृजन मुख्यतः प्राकृत एवं संस्कृत भाषा में किया गया हे | महेश्वसूरि के मतानुसार बोधगम्य प्राकृत काव्य की स्चना इसलिये की गई क्योकि अल्पबुद्धि वाले लागों को संस्कृत ग्राह्य नहीं थी । प्राकृत भाषा की इन रचनाओं को हर्मन जैकोबी ने महाराष्टी-प्राकृत कहा है । धर्मोपदेश माला विवरण मेँ महाराष्ट भाषा कौ कामिनी ओौर अटवी के साथ तुलना कसते हुये, उसे सुललित पदों से संपन्न, कामोत्पादक तथा सुन्दर वर्णो से शोभित बताया हे । प्राकृत के इन ग्रन्थो मे कई स्थानों पर सूक्तयो सुभाषितों से काम लिया गया हे । देशी भाषा के बहुत से शब्द कई स्थलों पर उपयोग किये गये हैँ । उदाहरण स्वरूप सुयर पिल्‍लव; सुअर का पिल्ला (वसुदेव हिण्डी), छोयर (छोकरा; उपदेशपद), जोहार (जुहारः धर्मोपदेश माला) चिडम (चिड़िया; ज्ञान पंचमी कहा) नाहर (सिंह; सुदसंण चरिये) आदि | ( 11 )




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now