नोआखाली दर्शन | Nauakhali Darshan

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Nauakhali Darshan by रामनारायण मिश्र - Ramnarayan Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमि की बनावट--इस भूमि को बने अभी अधिक दिन नहीं हुए हैं । इस समय भी जरझ ओर थल को सीमाएं निश्चित रूप से निधारित नहीं की ज्ञा सकतीं | इसके इतिहास की खोज बीन करना बहुत कठिन है। लेकिन यह अवश्य कहा जा सकता है कि हाटिया और बापनी द्वीप मिल कर एक हो गए अन्यथा इनके बीच कोई एक पतली नहर रह गई थी । रेबेल के नक्शे को देखने से मालूम पढ़ता है कि पेघना लखीमपुर से होकर बहतो थीं | इसके बाद ही यह स्थान है जहां इस्टइंडिया कम्पनी को एक মুত फैक्टरी बनी हुई थी। रेवेल ने अपने नक्शे में १७३० पीछ का तट भी दिखाया है | यह लाइन बतेमान नोआ- खाली नगर से होकर गुजरती है । रेवेज् ने अपने नक्शे में प्रेधना का उत्तरी भाग नहीं दिखाया है | हाटिया को एक अविभाजित भूप्रि के टुकड़े के रूप में दिखाया गया है। यह भूपि उत्तर से दक्षिय १४५ मील और पूव से पश्चिप १० थील दिखाई गई है | पहले बापनी टापू से होकर एक नदी बहती थो, लेकिन थीरे धीरे वह नीचे की ओर हटती गई ( ९४)




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