कल्याण | Kalyan

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ५ ) १३१ मानस-पारायण **- ( श्रीप्रेमनारायणजी त्रिपाठी श्रेम” ) ** शृ११४ १३२ मानस भक्तिभावका समुद्र ही है - ( श्रीयुत बाबू शिवप्रसादजी गुप्त ) ० ८९४ १३३ मानस मन्त्रमय है টিটি -* ११०६ ९३४ मानसे पवित्र चरित्र ` ( महामहोपाध्याय डा° श्रीगंगानाथजी सला, एम० ए०; एल-एल० डी°> डी° लिट्‌० ) -** ह३६ १६५ मानसमे पुरुषोत्तम राम *** ( खामी भीपुरुषत्तमानन्दजी अवधूत ) =° दुध ५३६ ५्मानस” में बालिवध *** ( ৭০ श्रीचन्द्रबलीजी पाण्डय, एम० ए० ) *** ६००५ ५३७ मानसम बीरत्व ओर विनयपूणं भावो हा प्रवाह ` ` ˆ (रे० एड्विन ग्रीव्ज ) *** ५५ १३८ मानस-राष्ट्रकी महानिधि * ( परमहंस बाबा राघवदासजी ) ८९३ १३९ मानस-टोका-समाधान ** ( श्रीजयरामदासजी ष्दीनः, रामायणी }) -** ६८६३) १५७० १४० मानसते जीवन-रसका संचार * ( ढा० श्रीम॑ग्देवजी चाल्ञी, एम० ए०) डी ० पिल्‌०ः प्रिन्सिपल; गवर्नमेंट संस्कृत कालेज, बनारस ) ** ८९२ ६४५ “मानस' से भव-बन्धन-मुक्ति * ( पूज्यपाद सख्वामीजी श्रीअवधविद्दारीदासजी पर महंस नागाबाबा' ) 8.0 2४२ मानस टिन्दीशहित्यक्रा खजाना है * ( श्रीफिशोरल्लारू घ० मशरूवाछा ) *** ८९१ १८३ मृत्युकी स्मृति - (श्री चक्र ) ** १२६३ १४४ मृत्युभय * ( साधु श्रीप्रज्ञानाथजी ) * १४९२ १४५ मेरे (भगवान! “ ( श्रीठाकुरदासजी वर्मा ) “* १६३३ १४६ मोजी भगत “* ( मुख्या श्रीविद्यासागरजी ) * १५७२० ५४७ य एवासि सा-स्मि *** ( श्रीमती कुमारी अरह्मवती विद्यालंकृता, साहित्यरन ) ** १४१४ १४८ यहू धर्मविष्व क्‍यों ! (पण श्रीसान्तनुविहारीजी द्विवेदी ) ˆ“ १६५४ १८९ राजपिं रन्तिदेव ( स्वामी श्रीपुसपात्तमाश्रमजी महाराज ) ** १३६० ५५० रामकृष्ण “ ( रायसा्च श्रीकृष्णलालजी बाफणा ) * १०५७ ५५५ रामचरितमानस ˆ (४० श्रीनरदेवजी याख्रीः वेदतीथं ) ১, १५२ रामचरितमानस और राष्ट्रनिर्माण * ( श्रीयुत भगवानदासजी केला ) *** १०५८ १५२ रामचरिंवमानसका तापस-प्रकरण ( प्रोफेसर श्रीदरिहरनाथजी हुक, बी० एस-सी ०, एम० ए०) এ “** १६३५ १५४ शरामचरितमानसकी कुछ विशेषताएँ ( माननीय डा० सर सीताराभजी, एम० ए्‌०, एल-एल० चौर ) ४ १०४७ १५५ रामचरितमानसके सिद्धान्त; साधन और साध्य' *' ( पं० श्रीकेशवंप्रसादजी मिश्र ) ००५. श ९५६ रामचरितमानस धमं ओर अधमं “ ( १० श्रीदासोदरजी उपाध्यायः, वैद ) -=* १०५५ १५७ रामचरितमानससे श्रद्धाकी प्राप्त ** ( पूज्यपाद महात्मा गान्ीजी ) *«« ७३२ १५८ राममें द्वी आराम है *** ( पूज्यपाद खामी श्रीभोखानायनी महाराज ) --* १२६३५ ५९ रामायण और उसका हिन्दु-संस्कृतिपर प्रभाव “** ( डा० मुहम्मद हाफिज सय्यद; एम० ए०? पी-रच० व डी० डी० लिट्‌० ) ˆ १०५६ १६० হামাযগক্ট হীন, জালং জীহ হান ( न्यायवागीश छला भीडोरीछाल्जी » *** १०५० १६१ रामायण बहुत प्रिय है “** ( महाराजाधिराज सर विजयचन्द महतताब बहादुर, बर्दवान) ८८2९ १६२ रामायण मानवमात्रकी बादभरिल है - ( श्रीयुत बी० एन मेहता, आई० सी० एस० ).. *** टटर १६३ राधायण-शका-षमाधान ( श्रीजयरामदासजी ष्दीनः; रामायणी ) ** ११६९, १४२०




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