मराठाकालीन गुजरात | Marathakalin Gujarat

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Marathakalin Gujarat by गोपालनारायण बहुरा - Gopalnarayan Bahura

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रकरण पहला गुजरात में सरहठों का झागमन अहमदाबाद पर श्रधिकार भ्रठारहवी शताब्दी के श्रारम्भ में मरहठा राज्य का सेनापति खडेराव दाभाड़े श्रपने लुटेरे घुडसवारो को गुजरात में भेजकर इस प्रान्त से चौथ वसुल करने लगा । पहले तो वह श्रहमद शाह के नगर श्रहमदावाद में श्रासपास भटकता रहा परन्तु फिर कुछ पीछे हट कर नादोद शौर राजपीपला जैसे सुदृढ़ नगरों के चौगिद अधिक दुढ़ता से पर जमाने श्रौर वही से दक्षिण श्रौर गुजरात के वीच के व्यापारी मार्ग पर भी श्रपनी सत्ता कायम करने के प्रयत्न करने लगा । सन्‌ 1730 ईू० में वालापुर की लडाई में दाभाड़े की सेना ने भ्रपनी वीरता के कारण स्याति प्राप्त की झौर इसी रणक्षेत्र मे एक ऐसे सरदार ने भी पहले-पहल कीति भ्रजित की जिसके भाग्य में गुजरात प्रान्त के लिए भ्रनेक महत्वपूर्ण कार्य करने का लेख 1 इस व श्रगले प्रकरण के लेख का श्राघार ग्रा्ट डफ लिखित हिस्ट्री श्रॉफ मरहठाज भ्रौर फॉयस की प्रोरियन्टल मेम्वायस नामक पुस्तकें है । जेम्स कमिद्धम ग्रान्ट डफ पहले पहल हिन्दुस्तान में 1805 में आया था श्रौर फर्स्ट नेटिव इन्फन्ट्री वबई में नौकर हुमा था । बाद में वह पूना के रेजीडेण्ट माउन्ट स्टुप्टें एत्फिस्सटन का सहायक नियुक्त हुआ । वह सन्‌ 1817 में खिड़की की लड़ाई मे मौजूद था । फिर बहू सतारा का रेजीडेण्ट बनाया गया वहीं उसके ग्रन्थ पा - इ01५ 0 6 प्रा2ा81185 के लिए उसे पर्याप्त सामग्री प्राप्त हुई थी । यह ग्रन्थ पहले पहले 1826 में प्रकाशित हुमा था । बाद में 1863 1873 1878 1912 श्र 1921 में भी इसके संस्करण निकले । पर 0पंल्ाछं छाद्शाणाई का लेखक जेम्स फॉवूस 1749 में पैदा हुपा था श्रौर 1765 मे कंपनी का नौकर होकर वबई झाया था। 1775 में जब राघोवा के लिए गुजरात में सहायता भेजी गई तो यह कर्नल कीटिज्भू का प्राइवेट सेक्रेटरी वन कर वहाँ गया था । फिर 1780 में डभोई को कलक्टर नियुक्त हु श्रौर दो वर्ष वाद जब घह नगर मरहठों को लौटा दिया गया तो यह विलायत चला गया । एपंट0181 घाट- प्राणी का प्रकाशन चार जिल्‍्दो में 1813-15 ई० में हुमा था । जेम्स फॉवूस की मृत्यु 1819 मे हुई थी 1 2. इस परिवार का मूल फ्स्प यशपातिल्र दाभाड़े था जो पूना के पास तलिगाँव का मुकददम था । वह जाति से मरहठा था ्ौर शिवाजी के पुत्रों सम्भाजी श्रौर राजाराम का पघ्यापक रहा था । उसका पुत्र खंडराव राजाराम के पक्ष में युगलों के विरुद्ध लडा था । प्रथम पेशया दालाजो विश्वनाथ ने उसको सेनापति # नियुक्त किया था । ..




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