नेफा की एक शाम | Nefa Ki Ek Shaam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम अश्रक १५
नीमो .
५
: चै सुहाली को सच्चे वावा के सामने नही पडने
दूँगा, माँ !
সং শপ मन
सातई . तू कैसे पडने देगा। अरे तुझी पर तो इसने
टोटका किया है। एक अंधेरी और तूफानी रात
को यह अचानक झरने के पास पाई गई--औऔर
तब से तू लट॒टू है इसपर। यह भी न पता
लगाया--कहाँ से आई है, कौन है । मै कहती हूँ
किसी दिन रात मे यह नागिन वनकर तुझे डस
लेगी ।
নীলা : तुम्हे एक गूंगी औरत को भला-बुरा कहते शर्म
नही आती ?
मातई भ्रव देखो 1 अरेग्योरे | अपनी माँ को ऊँची-नीची
वात कह रहा है ” अरे, तुझपर सौ बिजलियाँ
गिरेगी ।
नीमो . (खुहाली से) सुहाली, म्रपोग ले भ्राश्रो मेरे लिए।
[सुहाली सातई को अजीब-श्रजीब श्रॉखो से देखते हुए
प्रन्दर जाती है |
मातदं . (प्यार से) ओ मेरे बेटा | तुझे कैसे समझाऊँ ?
वडा जिद्दी है तू। केबँग भला सुहाली को
तेरी ००
नीमों (बात काटकर) मुझे केबंग के लोगो की परवाह
नही है, माँ |
লাই (साइचयं) केबँग के सब लोगो की मर्जी तोडेगा तू ?
नीमों - हाँ; श्रगर जरूरत पडी तो ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...