नेफा की एक शाम | Nefa Ki Ek Shaam

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Nefa Ki Ek Shaam by ज्ञानदेव - Gyandev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथम अश्रक १५ नीमो . ५ : चै सुहाली को सच्चे वावा के सामने नही पडने दूँगा, माँ ! সং শপ मन सातई . तू कैसे पडने देगा। अरे तुझी पर तो इसने टोटका किया है। एक अंधेरी और तूफानी रात को यह अचानक झरने के पास पाई गई--औऔर तब से तू लट॒टू है इसपर। यह भी न पता लगाया--कहाँ से आई है, कौन है । मै कहती हूँ किसी दिन रात मे यह नागिन वनकर तुझे डस लेगी । নীলা : तुम्हे एक गूंगी औरत को भला-बुरा कहते शर्म नही आती ? मातई भ्रव देखो 1 अरेग्योरे | अपनी माँ को ऊँची-नीची वात कह रहा है ” अरे, तुझपर सौ बिजलियाँ गिरेगी । नीमो . (खुहाली से) सुहाली, म्रपोग ले भ्राश्रो मेरे लिए। [सुहाली सातई को अजीब-श्रजीब श्रॉखो से देखते हुए प्रन्दर जाती है | मातदं . (प्यार से) ओ मेरे बेटा | तुझे कैसे समझाऊँ ? वडा जिद्दी है तू। केबँग भला सुहाली को तेरी ०० नीमों (बात काटकर) मुझे केबंग के लोगो की परवाह नही है, माँ | লাই (साइचयं) केबँग के सब लोगो की मर्जी तोडेगा तू ? नीमों - हाँ; श्रगर जरूरत पडी तो ।




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